-आइडियाज फॉर इंडिया, सभी देशों की तरह भारत के लिए भी, जलवायु परिवर्तन एक अत्यंत तेजी से बढती समस्या बन गई है। इस लेख के जरिये पिल्लई एवं अन्य तर्क देते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पना करने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत के संविधान में जलवायु संबंधी कई क्षेत्रों में राज्यों के महत्वपूर्ण कर्त्तव्य निर्धारित किये गए हैं। वे जलवायु नीति में संस्थागत सुधार...
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नए कीटनाशक प्रबंधन विधेयक से पर्यावरण और जनता को नुकसान, कारोबारियों को फायदा
-कारवां, महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 6 अगस्त 2021 की रात 42 साल के एक किसान की कीटनाशक जहर से मौत हो गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विनोद मसराम चव्हाण अपनी कपास की फसल को घातक गुलाबी बॉलवर्म से बचाने के लिए कीटनाशक नुवाक्रॉन का छिड़काव करते समय उसके संपर्क में आ गए थे. कीटनाशक में मोनोक्रोटोफोस होता है जो एक जहरीला कंपाउंड है. यह अंतरराष्ट्रीय...
More »भारत के कमजोर होते लोकतंत्र से गंभीर बनता दिल्ली का वायु प्रदूषण
-कारवां, जैसे-जैसे सर्दियां दस्तक देने लगी थीं, वैसे-वैसे दिल्ली का अपना ही जहरीली हवा का मौसम शुरू होने लगा था. यह जहरीली हवा का मौसम दिवाली में पटाखों पर प्रतिबंध के खुले उल्लंघन के कारण और विषाक्त हो जाता है. प्रेस और दिल्ली के लिबरल शहरियों का आक्रोश और लाचारी का सालाना अनुष्ठान भी इसी मौसम के साथ आरंभ हो जाता है. पर्यावरणविद सरकार की यदा-कदा होने वाली और अप्रभावी कार्रवाई...
More »गांव-देहात के हिसाब से इस बजट में क्या है?
-गांव सवेरा, • ‘उर्वरक सब्सिडी’ पर खर्च साल 2021-22 (R.E) में 1,40,122 करोड़ रुपए से घटाकर 2022-23 (B.E.) में 1,05,222 करोड़ रुपए कर दिया गया है. उर्वरक सब्सिडी पर बजटीय आवंटन साल 2021-22 (B.E.) में 79,530 करोड़ रुपए था. 2021-22 में उर्वरक सब्सिडी पर खर्च के बजट अनुमान और संसोधित अनुमान के बीच बड़ा अंतर उर्वरकों की कीमत और इनपुट लागत में वृद्धि के कारण हुआ है. • कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में उर्वरक सब्सिडी 2021-22 (B.E.) में 2.28 प्रतिशत थी, जो 2022-23 (B.E.) में मामूली रूप से बढ़कर 2.67 प्रतिशत...
More »शीत-लहरों ने 2020 में गर्म हवाओं की तुलना में 76 गुना ज्यादा जानें लीं
-डाउन टू अर्थ, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, 2020 में शीत-लहरों की वजह से गर्म हवाओं की तुलना में 76 गुना ज्यादा जानें गईं। सांख्यिकी विभाग ने ‘भारत की पर्यावरण स्थिति के भाग-1’ में बताया कि 2020 में शीत-लहरों के कारण 152 मौतें दर्ज की गईं, जबकि गर्म हवाओं के चलते दो लोगों को जान गंवानी पड़ी। आईएमडी की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2020 में, आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई गर्म हवाओं के अनुपात में शीत-लहरों से होने वाली मौतें 20 सालों में सबसे अधिक थीं। देश में 2020 में 99 दिनों तक शीत-लहर दर्ज की गईं। रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 2017-2020 से शीत-लहरों के दिनों की तादाद में लगभग 2.7 गुना वृद्धि हुई है। शीत-लहरों ने 1980 से 2018 के बीच गर्म हवाओं की तुलना में अधिक देशवालों की जान ली है। 2017 से शीत-लहरों वाले दिनों की तादाद हर साल लगातार बढ़ रही है। 2018 में ऐसे दिनों की तादाद 63 थी, जो 2019 में डेढ़ गुना बढ़कर 103 हो गई थी। देश में 2020 में गर्म हवाओं के कारण सबसे कम मौतें दर्ज की गई थीं, जब देश में कोरोना वायरस की महामारी के चलते कई महीने तक लॉकडाउन लागू किया गया था। साल 2011 में गर्म हवाओं की तुलना में शीत-लहरों से लगभग साठ गुना ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। आईएमडी के मुताबिक, शीत-लहरों से 722 लोगों की जबकि गर्म हवाओं से 12 लोगों की जान गई थी। साल, जिसमें शीत-लहर से मौतें हुईं गर्म हवाओं से हुईं मौते शीत-लहर से हुईं मौते शीत-लहर और गर्म हवाओं से मौतों में अनुपात 2020 2 152 76.00 2011 12 722 60.17 2018 33 280 8.48 2000 55 425 7.73 2001 70 490 7.00 2004 117 462 3.95 2010 269 450 1.67 2008 111 114 1.03 विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, शीत-लहर की वजह से लोगों में कोरोनरी हार्ट डिजीज, दिमाग की नसों का फटना और सांस संबंधी बीमारियां पैदा होती हैं, जो उनकी मौत का कारण बनती हैं। आईएमडी में केवल 2021 की जनवरी का आंकड़ा उपलब्ध है, जिस महीने शीत-लहर से सबसे ज्यादा लोगों की जान गई। आईएमडी ने कहा कि जनवरी 2021 में उत्तर पश्चिम भारत में औसत मासिक न्यूनतम तापमान 2019 और 2020 की तुलना में कम रहा था। रिपोर्ट में बताया गया कि जनवरी 2021 में औसत मासिक अधिकतम तापमान सामान्य से 2-4 डिग्री सेल्सियस कम था, यह इस महीने गंगा के मैदान में और दक्षिण-पंजाब व इसके पश्चिम में उत्तरी हरियाणा में अधिक था। बिहार में भी औसत मासिक तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस कम था। अंाकड़े बताते हैं कि जनवरी 2021 में ठंडी हवाओं से लेकर शीत लहरों तक के 15 दिन दर्ज किए गए। ये लहरें देश उत्तरी भागों में फैली हुई थीं और इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ स्थान शामिल थे। उत्तर प्रदेश में 2021 में 11 दिनों तक ठंडी और भीषण शीत लहरें दर्ज की गईं। पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. ...
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