कहते हैं लोक सभा न विधान सभा, सबसे ऊंची ग्राम सभा. इस बात को ओड़िशा के नियमगिरि पहाड़ पर खनन रोकने से संबंधित ग्राम सभा के फैसलों ने और पुष्ट किया है. वेदांता जैसी बड़ी वैश्विक कंपनी को ग्राम सभा के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है. मगर अपने राज्य झारखंड में गांव के लोगों ने अब तक ग्राम सभा की ताकत को नहीं पहचाना है. पंचायती राज के हक...
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नियमगिरि की जीत देश के हर गांव की जीत है : निखिल डे
जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने नियामगिरी के निर्णय को काफी अहम बताया है. उन्होंने कहा कि यह मानकर चलना कि दिल्ली में बैठकर कुछ अधिकारियों द्वारा या कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा गांव के लोगों के विकास के लिए लिया गया फैसला बिल्कुल सही है, और ग्रामसभा जो कि अपने गांव के विकास के लिए इन फैसलो का विरोध करती है, वह गलत है, एक तरह से उनकी समझ पर सवाल...
More »ग्राम सभाएं दिलायेंगी असली आजादी
कहते हैं लोक सभा न विधान सभा, सबसे ऊंची ग्राम सभा. इस बात को ओड़िशा के नियमगिरि पहाड़ पर खनन रोकने से संबंधित ग्राम सभा के फैसलों ने और पुष्ट किया है. वेदांता जैसी बड़ी वैश्विक कंपनी को ग्राम सभा के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है. मगर अपने राज्य झारखंड में गांव के लोगों ने अब तक ग्राम सभा की ताकत को नहीं पहचाना है. पंचायती राज के हक...
More »नियमगिरि के हकदार- कमल नयन चौबे
जनसत्ता 2 अगस्त, 2013: नियमगिरि में खनन की इजाजत देने की बाबत सर्वोच्च न्यायालय ने अठारह अप्रैल को दिए अपने फैसले में ग्रामसभा की मंजूरी लेने का आदेश दिया था। इस फैसले और इसके बाद के घटनाक्रम ने जल, जंगल, जमीन पर स्थानीय समुदायों के हक की लड़ाई के कई विरोधाभासों और उपलब्धियों को उजागर किया है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की मनमानी व्याख्या करते हुए ओड़िशा...
More »वनाधिकार कानून का सफेद और स्याह
वनाधिकार कानून की यात्रा साल 2006 के बाद से आज दिन तक किस मुकाम तक पहुंची है- इसका जायजा लेने के लिए देश भर से कुछ समूह दिल्ली में जुटे थे। वनाधिकार कानून को अक्सर ऐतिहासिक करार दिया जाता है क्योंकि इस कानून वनक्षेत्र और उसके आस-पास रहने वाले समुदायों और व्यक्तियों को भूस्वामित्व का हकदार बनाया, इस हकदारी को अवैध करार देने वाले सदियों पुराने चलन का खात्मा किया।...
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