-डाउन टू अर्थ, भारत में जीवन प्रत्याशा पर किए सबसे हालिया अनुमानों के अनुसार यदि कोई बच्चा आज पैदा हुआ है तो उसके कम से कम 69 साल चार महीने जीवित रहने की सम्भावना है। जबकि यदि वैश्विक स्तर पर जीवन प्रत्याशा के औसत को देखें तो वो 72.8 वर्ष के करीब है। यह जानकारी सेन्सस और भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी एसआरएस-आधारित एब्रीज्ड लाइफ टेबल्स 2014-18 में सामने आई...
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प्रदूषण से न नदियां बचीं और न भूजल
-डाउन टू अर्थ, हमारे अहम सतही जलस्रोतों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब इस्तेमाल करने के लायक नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अलग अलग राज्यों की प्रदूषण निगरानी एजेंसियों के हालिया विश्लेषण ने इसकी पुष्टि की है। साल 2015 में वाटर ऐड की एक रिपोर्ट जारी हुई थी, जो शहरी विकास मंत्रालय, जनगणना 2011 और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर आधारित थी। इस रिपोर्ट में कहा...
More »दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं ये खतरनाक तत्व
डाउन टू अर्थ, पोटेशियम, सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, क्लोरीन और कैल्शियम जैसे तत्व दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं। यह जानकारी हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीएआरई) द्वारा किए शोध में सामने आई है। जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली के सहयोग से किया गया है। दिल्ली की हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों की उपस्थिति और...
More »चुनावी गंगा: बिहार में 74 फीसदी सीवेज प्रदूषण झेल रही राष्ट्रीय नदी बनेगी 37वें मुख्यमंत्री की गवाह
-न्यूजलॉन्ड्री, बिहार में चुनावी चाल तेज रफ्तार पकड़ चुकी है लेकिन मैदान में मंद गति के प्रवाह वाली गंगा चुप और उदास हैं. 10 नवंबर, 2020 को जब बिहार में चुनाव के नतीजे आएंगे तो मल-कीचड़, ठोस कचरा और उद्योगों से प्रदूषित राष्ट्रीय नदी का दर्जा रखने वाली गंगा सूबे के 37वें मुख्यमंत्री की साक्षी भी बन जाएंगी. यह भी संभव है कि जीतने-हारने वाले प्रत्याशी को शायद चुल्लू भर गंगाजल...
More »प्लास्टिक से धरती के अस्तित्व को खतरा
-वाटर पोर्टल, आज के वैज्ञानिक युग में न केवल मानव विकास की रफ्तार बढ़ी है बल्कि विज्ञान ने इंसान के जीवन को और भी अधिक सरल और सुविधाजनक बना दिया है। हालांकि नई तकनीक के प्रयोग ने कई बिमारियों, चुनौतियों और समस्याओं को भी जन्म दिया है। विज्ञान और आधुनिक तकनीकों के प्रयोग ने प्राकृतिक वातावरण को दूषित ही नहीं किया बल्कि मानवीकृत वैज्ञानिक वातावरण का जाल भी बिछा दिया है।...
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