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राजनीतिक एजेंडे में पर्यावरण क्यों नहीं-- नवरोज के दुबाश

भारत में पर्यावरण की हालत काफी भयावह है। इससे जुड़े आंकडे़ परेशान करने वाले हैं। मसलन, देश की हर पांच में से तीन नदियां प्रदूषित हैं। ज्यादातर ठोस कचरों का निस्तारण नहीं किया जाता; यहां तक कि देश के समृद्ध हिस्सों में भी नहीं। मुंबई में 90 फीसदी, तो दिल्ली में 48 फीसदी कचरों का निस्तारण नहीं हो पाता। फिर, देश की तीन-चौथाई आबादी उन हिस्सों में बसती है, जहां...

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सरकारी विभागों के विरुद्ध साल 2018 में मिलीं करीब 15.7 लाख जन शिकायतें

नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने गुरुवार को बताया कि पिछले साल केन्द्र के विभिन्न विभागों के विरूद्ध करीब 15.7 लाख जन शिकायतें प्राप्त की गई. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री सिंह ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. सिंह ने कहा कि इन शिकायतों में से 14.98 लाख शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है तथा 8.4 लाख शिकायतें लंबित हैं. उन्होंने बताया कि...

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मौसम: उत्तर भारत शीतलहर की चपेट में, उत्तराखंड में यलो अलर्ट जारी

लगातार गिरते पारे के बीच उत्तर भारत (North India) के कई राज्य शीतलहर (Cold wave) की चपेट में हैं। उत्तराखंड (Uttarakhand) में शीतलहर को लेकर यलो अलर्ट (Yellow Alert) जारी किया गया है, जबकि राजधानी दिल्ली में एक हफ्ते तक शीतलहर चलने के आसार हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तरी राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश शीतलहर की चपेट में है। मैदानी इलाकों में अमृसर...

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हकीकत को जानने का नया औजार-- कार्तिक मुरलीधरन

सरकारी दफ्तरों में बैठे हुए हाकिमों को ‘जमीनी हकीकत' जानने में जो समस्या पेश आती है, वह कोई नई नहीं है। इतिहास बताता है कि अशोक से लेकर अकबर तक तमाम सम्राट सच जानने के लिए वेश बदलकर अपने राज्य में घूमा करते थे। आज भी हमारी सरकारों के लिए यह जानना एक बड़ी चुनौती है कि उनकी जन-हितकारी योजनाएं कैसी चल रही हैं? कनिष्ठ अधिकारी अक्सर इन योजनाओं...

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आर्थिक उन्नति में सब हों हिस्सेदार-- कार्तिक मुरलीधरन

भारत में केंद्र और राज्य सरकार अपने लोक-कल्याण कार्यक्रमों पर काफी ज्यादा खर्च करती हैं, लेकिन इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में कई कमजोरियां हैं। प्रशासनिक लागत, लीकेज (रिसाव) और लाभार्थियों की पहचान में गलतियों को जोड़कर सरकारी आंकड़े खुद बताते हैं कि योजनाओं पर खर्च होने वाली रकम का बड़ा हिस्सा लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता है। कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने यह सुझाव दिया है कि भारत में गरीबी कम करने की...

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