जी न्यूज़, 13 नवम्बर राजस्थान के डूंगरपुर जिले में दोवडा पंचायत समिति और जिला परिषद की महात्मा गांधी नरेगा योजना में बड़ी लापरवाही सामने आई है. दोवडा पंचायत समिति की 15 पंचायतों के सैकड़ो मनरेगा श्रमिकों को दिसम्बर 2021 की 75 लाख से अधिक की मजदूरी का भुगतान आज तक नहीं हो पाया है. बार-बार तकाजे के बाद भी मजदूरों को राहत नहीं मिली. वहीं अब मामला लोकपाल के पास पहुंचने के...
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बिहार: अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकारने वाले कृषि मंत्री का इस्तीफ़ा
द वायर, 2 अक्टूबर बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है. उनके पिता एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की बिहार इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने रविवार को इसकी जानकारी दी. सुधाकर सिंह द्वारा हाल ही में अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करने से प्रदेश की नवगठित महागठबंधन सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी. हालांकि इस कठोर कदम के बाद मंत्री अपनी टिप्पणियों...
More »मनरेगा का पैसा चाहिए तो दीजिए पांच सवालों के जवाब- मंत्री गिरिराज सिंह ने राज्यों को दिलाया याद
जनसत्ता, 14 सितम्बर केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर याद दिलाया है कि उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) के तहत धन प्राप्त करने के लिए मंत्रालय द्वारा निर्धारित संकेतकों के अनुपालन को दर्शाने वाली कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। जिन पांच संकेतकों का राज्यों का पालन करने के लिए कहा गया है। उनमें सोशल ऑडिट, लोकपाल, नेशनल मोबाइल...
More »मनरेगा: 11 राज्यों से दिल्ली आए प्रदर्शनकारी मजदूरों की आपबीती
न्यूज़लॉन्ड्री,09 अगस्त मनरेगा योजना के अंतर्गत काम करने वाले मजदूर दिल्ली में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें कम काम, देरी से वेतन और कम वेतन के चलते उनकी जिंदगी दिन पर दिन बदहाल होती जा रही है. अलग-अलग प्रदेशों से आए मनरेगा के मजदूरों ने तीन दिन तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर कम वेतन, वेतन भुगतान में देरी और काम की कमी को लेकर...
More »बापू के पास है घायल लोकतंत्र की औषधि
जनचौक,02 अगस्त बड़ी संख्या में लोग मानने लगे हैं कि भारतीय लोकतंत्र एक संकट के दौर से गुज़र रहा है। लोकतान्त्रिक संस्थाओं की कार्य शैलियाँ बदल रही हैं, कार्यकारिणी और न्यायपालिका के काम-काज में अनावश्यक हस्तक्षेप हो रहा है और शैक्षणिक संस्थाओं में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दखलंदाजी बढ़ती जा रही है। पाठ्यपुस्तकें बदली जा रही हैं और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर बच्चों के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है।...
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