अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स व फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी, पानी व हवा ऊसर होते जा रही है। जहां किसान पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से देते थे, वहीं आज 10-20 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से दिया जा रहा है। इसकी वजह से धरती पर ग्रीन हाउस बन रहा है और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बढ़ रहे हैं। यह परिस्थितिकीय चक्र को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं,...
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हर जिले में नहीं होती है मिट्टी की जांच
राज्य की 80 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है और उसमें भी 80 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर खेती से जुड़े हैं. खेती ही ऐसे लोगों की जीविका का मूल आधार है. इसके बाद भी खेती के विकास को लेकर हमारा सरकारी महकमा गंभीर नहीं है. कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए द्वितीय हरित क्रांति, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं...
More »घट रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति ।। संजय कुमार सिन्हा ।।
विश्व की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, उस अनुपात में खाद्य उत्पादन नहीं बढ़ा है. जंगलों के कटने और बेहिसाब औद्योगिकीकरण से धरती की जलवायु पर बुरा असर पड़ा है. आइसलैंड में हुए एक सम्मेलन में इन्हीं बिंदुओं पर विचार किया गया. पिछले दिनों (26-29 मई) को आइसलैंड की राजधानी रेईकजाविक में ‘मृदा कार्बन' पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया. यह सम्मेलन कई मायनों में खास था. इसे आयोजित करवाने...
More »किसान खुद खाली कर रहे जैव खजाना
हल्द्वानी [जासं]। किसानों को पता ही नहीं चल रहा और वे अपने ही हाथों जैव खजाने को खाली करने में जुटे हैं। गेहूं काटने के बाद खेत में रह गए डंठल को खत्म करने के लिए अगर आप आग लगाते हैं तो सावधान। यह आग आपकी त्वरित समस्या का तो समाधान कर रही है, लेकिन सोना उगलने वाले खेत को बंजर भी बना रही है। इसके अलावा पर्यावरण को प्रदूषित भी कर रही है। इसको...
More »किसानों को उन्नत खेती के गुर सिखाये
लखनऊ, 18 मार्च: इफको द्वारा मोहनलालगंज के तमोरिया गांव में फसल विचार एवं ग्राम उत्थान विषयक संगोष्ठी आयोजित हुई। इसमें गांव वालों को उन्नत खेती के बारे में बताया गया और खेतों में प्रदर्शन कर दिखाया गया। किसानों को संतुलित उर्वरक प्रयोग के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान किसानों को उन्नत कृषि यंत्र, महिलाओं को सिलाई मशीन व टार्च आदि वितरित किया गया। संगोष्ठी में मृदा वैज्ञानिक डा. केएन तिवारी ने भूमि की कम...
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