वर्ष 2011 की जनगणना में हरियाणा में छह वर्ष तक के बच्चों के लिंगानुपात का जो आंकड़ा सामने आया वह चिंता में डालने वाला था. 1000 लड़कों पर महज 834 लड़कियां थीं. राज्य में यह स्थिति पिछले कई दशकों से है. लेकिन, कुछ गांवों से ऐसी खबरें आयी हैं जो हालात बदलने की उम्मीद पैदा करती हैं. लिंग अनुपात के मामले में देश में सबसे बुरी स्थिति हरियाणा की है. यहां...
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कचरे को बना दिया कीमती संसाधन
कहानी है अमेरिका में मोटी तनख्वाह की नौकरी छोड़ स्वदेश लौटे मणि वाजपेयी और राज मदनगोपाल की. उन्होंने एक कंपनी बनायी ‘बैनयान नेशन'. इसके जरिये उन्होंने भारत में दिनोंदिन बढ़ते कचरे के प्रबंधन की दिशा में एक नयी इबारत लिखी है. सामाजिक उद्यम के रूप में स्थापित कंपनी उच्च तकनीक से लैस है. यह पारंपरिक ढंग से हट कर, छंटाई और रीसाइक्लिंग के जरिये कचरे का निबटान करता है. यह नव-उद्यम...
More »खराब मानसून में छिपे डर - अनिल पद्मनाभन
इस साल मानसून का जो हाल है, वह बहुत डराने वाला है। इससे गुजरे छह हफ्ते से जो अनिश्चितता पैदा हुई है, वह एक बुरी आशंका की ओर इशारा कर रही है। कुदरत के संकेतों को समझते हुए कुछ यह दावा कर सकते हैं कि भारतीय मौसम विभाग की औसत मानसून की भविष्यवाणी सही साबित होगी। लेकिन क्या यही सच है? अभी तक मानसून का जो हाल है, वह...
More »विकास मॉडलों के शोर में गुम मजदूर- रौशन किशोर/जीको दासगु्प्ता
चुनावी बहस-मुबाहिसों में विकास की चर्चा तो खूब है, लेकिन इस विकास का आधार और देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा मजदूर कहीं प्रमुख मुद्दा नहीं है. घोषणापत्रों में श्रमिकों के मसलों को शामिल तो किया गया है, लेकिन उनके लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है. देश में मजदूर वर्ग निरंतर शोषण और दमन का शिकार बनता रहा है. ‘मई दिवस’ के मौके पर मजदूरों से जुड़े मसलों को रेखांकित...
More »बालू के बवंडर से बदला फैसला
बालू ही नहीं डेढ. दर्जन से अधिक ऐसे लघु खनिज हैं, जिस पर सीधा हक ग्रामसभा व पंचायत का बनता है. अगर कोई सरकार बड़ी कंपनियों के माध्यम से इसकी नीलामी कर इसके निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ती है, तो यह कोशिश ही संविधान की मूल भावना पर चोट है. अगर राजस्व संग्रह, कानून व्यवस्था और पर्यावरण अनुमति का सवाल है, तो यह राज्य सरकार का काम है और...
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