-द वायर, भारत का गरीब और मजदूर वर्ग अब अख़बार के भीतरी पन्नों और टीवी स्क्रीन से गायब हो गया है. ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं और अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट गए हैं, तब भूख और रोजी-रोटी की समस्या खत्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है. सच तो सिर्फ इतना है कि अचानक से थोपे गए...
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हिमाचल प्रदेश: श्मशान गृह से भगाए जाने पर दलित परिवार ने जंगल में किया वृद्धा का अंतिम संस्कार
शिमला: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के फोजल घाटी के एक गांव के श्मशान गृह का कथित तौर पर प्रयोग नहीं करने देने पर एक दलित परिवार को जंगल में बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार करने पर मजबूर होना पड़ा. धारा गांव की निवासी करीब 100 साल की एक महिला का लंबी बीमारी के बाद बृहस्पतिवार को निधन हो गया था. महिला के पोते टेप राम ने आरोप लगाया कि गांव...
More »दलित दर्द की खतरनाक अनदेखी-- तरुण विजय
किसी भी समाज का सबसे बड़ा अपमान उसके दर्द, उसके इतिहास और उसके संघर्ष को नकारना होता है. कश्मीरी हिंदुओं के साथ यही हुआ. तमाम सेकुलर-जेहादियों ने पुस्तकें लिख डालीं कि कश्मीर घाटी से हिंदू अपने सदियों पुराने घर-बागीचे अपनी मर्जी से छोड़ आये, ताकि मुसलमान बदनाम किये जा सकें. आज महाराष्ट्र में दलितों के असंतोष को न तो हल्के ढंग से लेना चाहिए, न ही इसका सारा श्रेय...
More »छह लाख पेंशनधारी फर्जी अब खाते में जायेगी राशि
पटना : प्रदेश में छह लाख पेंशनधारी फर्जी हैं, जिन्हें अब किसी प्रकार की पेंशन की राशि नहीं दी जायेगी. इसका खुलासा शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित समाज कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में हुआ. बैठक में दिव्यांगों की सुविधा के लिए हर अनुमंडल में बुनियादी केंद्र खोलने और राज्य भर में मोबाइल थेरेपी वैन चलाने का निर्णय लिया गया. वहीं, महिलाओं, दिव्यांगों, बुजुर्गों के...
More »निर्मल गंगा का सपना- केपी सिंह
जनसत्ता 25 जून, 2014 :गंगा को निर्मल बनाने का अभियान नई सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। सरकार की प्रतिबद्धता इसी बात से आंकी जा सकती है कि इस संबंध में प्रारंभिक बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। काम बहुत मुश्किल है, पर असंभव नहीं। गंगा हिमालय से निकल कर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर समुद्र...
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