गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
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आपदा का खोखला प्रबंधन!
उत्तराखंड में प्रकृति की विनाशलीला शायद कम हो सकती थी, अगर समय रहते इससे निबटने के लिए जरूरी इंतजाम कर लिये गये होते. लेकिन सीएजी की रिपोर्टो और नागरिक समाज द्वारा दी जानेवाली चेतावनियों के बावजूद भी सरकार नहीं चेती. कैसे काम करता है हमारा आपदा प्रबंधन तंत्र, आपदाओं का सफलतापूर्वक सामना करने में क्यों चूक जाते हैं हम, बता रहा है नॉलेज.. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हमलोग...
More »बिहार की बच्ची की दास्तां...
राजस्थान के सीकर जिले में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई बिहार की ग्यारह साल की एक बच्ची पिछले पांच महीने से अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रही है. जयपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती नूर(काल्पनिक नाम) किसी भी आहट पर डरकर कांपने लगती है. डॉक्टरों के मुताबिक, उसे ठीक होने में अभी काफी समय लगेगा. नूर की बड़ी बहन रेहाना(काल्पनिक नाम) कहती हैं कि उन्हें अब भी धमकियां मिल...
More »सेब की लाली पर लापरवाही का दाग
हिमाचल प्रदेश में प्रति वर्ष होने वाले 22 सौ करोड़ के सेब कारोबार पर सरकारी तंत्र की लापरवाही का ग्रहण लगता जा रहा है। वर्तमान में स्थिति इतनी खराब है कि ट्रकों की कमी के कारण प्रदेश में करीब 40 से 50 हजार सेब पेटियों का लदान नहीं हो पा रहा है। सड़कों की हालत खराब है और सेब पैकिंग के लिए पेटियां पर्याप्त नहीं हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार...
More »ट्रैक्टरों के व्यावसायिक प्रयोग पर नहीं लग रही रोक
रोहतक, जागरण संवाददाता : टेट का सामान लाना हो या भट्ठें से ईटे मंगवानी हो, ट्रैक्टर-ट्राली सबसे सरल साधन बना हुआ है। इनका व्यावसायिक प्रयोग कर लोग टैक्स की चोरी कर रहे है। ट्रैक्टर-ट्राली के कारण शहर में यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। जानकारी के अनुसार, ट्रैक्टर-ट्राली का व्यावसायिक कार्यो में प्रयोग बढ़ता जा रहा है। ईट भट्ठों, टेट हाउसों, मिट्टी डालने जैसे कामों में इनका प्रयोग हो रहा है। शहर में ऐसे दर्जनों...
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