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न्यूज क्लिपिंग्स् | बिहार की बच्ची की दास्तां...

बिहार की बच्ची की दास्तां...

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published Published on Dec 28, 2012   modified Modified on Dec 28, 2012

राजस्थान के सीकर जिले में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई बिहार की ग्यारह साल की एक बच्ची पिछले पांच महीने से अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रही है. जयपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती नूर(काल्पनिक नाम) किसी भी आहट पर डरकर कांपने लगती है. डॉक्टरों के मुताबिक, उसे ठीक होने में अभी काफी समय लगेगा.

नूर की बड़ी बहन रेहाना(काल्पनिक नाम) कहती हैं कि उन्हें अब भी धमकियां मिल रही हैं. रेहाना अपनी बहन के कथित गुनहगारों के लिए फांसी की सजा की मांग कर रही है. कभी स्कूल की प्रार्थना और संगीत की आवाज के बीच नूर की आंखों में सुंदर सपने पला करते थे लेकिन जरा सी भी आहट होने पर नूर डर कर रोने लगती है.

नूर के साथ 20 अगस्त की शाम उस वक्त ये भयानक हादसा हुआ जब वो सीकर कस्बे में अपनी बहन के साथ बाजार से घर लौट रही थी. उसी समय कुछ स्थानीय लोगों ने नूर का बीच सड़क पर से अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. घटना के बाद अपराधियों ने नूर को सड़क पर फेंक दिया था.

पिता का साया 'नहीं'

नूर के पिता नहीं है ऐसे में उसकी 18 साल की बहन रेहाना ही उनका ख्याल रख रही हैं. रेहाना बार-बार अपनी छोटी बहन को दिलासा देते हुए बताती हैं, ''नूर रह-रह कर डरने लगती है, उसे डरा हुआ देखकर हम भी डर जाते हैं. वो अक्सर दीदी बचाओ-बचाओ कहकर चिल्लाने लगती है. ऐसे में भला वो कैसे जिएगी.''
रेहाना कहती हैं, ''मैं उसे हौसला देने की कोशिश तो करती हूँ लेकिन कभी-कभी मेरा भी सब्र टूट जाता है.''

सीकर पुलिस ने इस सिलसिले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से चार लोग अभी जेल में हैं लेकिन रेहाना और उनकी मां नादिया(काल्पनिक नाम) कहती हैं कि उन्हें अब आए दिन धमकियां मिलती रहती हैं और इस बारे में पुलिस को भी बताया जा चुका है. मगर सीकर में महिला पुलिस थाने की एसएचओ प्रीति बेनीवाल कहती हैं कि पुलिस को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. उनके अनुसार, ''हमने अदालत में अभियोग दाख़िल कर दिया है, जैसे ही पीड़ित ठीक होगी, अभियुक्तों की पहचान के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.'' नूर की मां नादिया अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बिहार से सीकर आईं थी लेकिन अब वो मायूसी के साथ कहतीं हैं, ''अब बिहार कैसे लौट सकेंगे, जाएंगे तो लोग ताने कसेंगे, कहेंगे ये क्या हो गया है बेटी के साथ.'' नादिया के अनुसार, ''यहां हम हर वक्त डर के साए में जीते हैं. लगता है मानो वे लोग हमारा अब भी पीछा कर रहे हैं, हमारा हौसला टूट गया है. उम्र के इस पड़ाव पर हम इस विपत्ति का कैसे मुकाबला करें.'' ये सब कहते हुए नूर की माँ की आँखों से पानी बह निकला.

आर्थिक मदद

हालांकि राज्य सरकार ने पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद दी है. ये राशि पीड़िता के नाम बैंक में जमा करा दी गई है. इसके अलावा सरकार अस्पताल का खर्चा भी उठा रही है. इस घटना के विरोध में सीकर की जनता ने सड़कों पर प्रदर्शन भी किया था.

सीकर में रह रहे सामजिक कार्यकर्ता भागीरथ गोदारा कहते हैं, ''न केवल सीकर शहर के लोग, बल्कि निकटवर्ती गांवों के लोग भी नूर को इंसाफ दिलाने के लिए सड़कों पर उतरे. इनमें सभी जातियों और धर्मो के लोग भी शामिल हुए. महिलाएं भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरीं ताकि इस परिवार को ये ना लगे कि वो बिहार से दूर सीकर में अकेले हैं.'' हालांकि कुछ लोग ऐसे भी जो हैं जो अभियुक्तों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. ये लोग नूर के साथ हुई वारदात का मोलभाव कर रहे थे और पीड़ित परिवार को चुप रहने की सलाह दे रहे थे. रेहाना आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए कहती है, ''यूं तो लोगों की मदद से हौसला बना हुआ है मगर कभी-कभी जिंदगी से निराशा होने लगती है. हम क्या सोचकर बिहार से यहां आए थे और क्या हो गया. इस घटना का दर्द सिर्फ नूर नहीं बल्कि हम सभी सात भाई-बहन झेल रहे हैं.'' नूर की तीन बहनों की शादी हो चुकी है. नूर सबसे छोटी होने के कारण सबकी लाड़ली भी है. इस हादसे के बाद रेहाना की मंगनी भी टूट गई. नूर की मां कहती है कि नूर का दो बार ऑपरेशन किया जा चुका है लेकिन अभी और ऑपरेशन होना है. इन सब के बीच नूर बिस्तर पर गठरी बनकर लेटी है. उसके शरीर पर पड़े गहरे घाव समय के साथ भले ही भर जाएं लेकिन उसके कोमल मन पर जो घाव उभरा वो कभी भर भी पाएगा या नहीं ये कोई नहीं जानता.
(साभारः बीबीसी)


http://www.prabhatkhabar.com/node/247309


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