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आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश

यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...

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हिमालय नीति की जरूरत--- वीरेंद्र कुमार पैन्यूल

एक हिमालय नीति की जरूरत दशकों से महसूस की जा रही है। पूरे विश्व ने व संयुक्त राष्ट्र ने भी आधिकारिक रूप से यह माना है कि पहाड़ों के विकास की अलग रणनीति और तौर-तरीके होने चाहिए। पूर्व में अंतरराष्ट्रीय पर्वतीय वर्ष भी मनाया गया था। अमेरिका में तो पर्वतीय विकास पर काम करने के लिए अलग से एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है। इसी क्रम में हिमालय के लिए एक अलग...

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आधी आबादी के बिना कैसे पूरा हो विकास का सपना

गत महीने फेसबुक द्वारा किये एक सर्वे में यह बात सामने आयी कि भारत में हर पांच में से चार महिलाएं उद्यमी बनने की क्षमता रखती हैं, बशर्ते उनके सशक्तीकरण के प्रयास किये जायें. शोध के मुताबिक यदि अभी से शुरुआत की जाये, तो वर्तमान व्यवसाय और रोजगार के समस्त लक्ष्यों को सिर्फ 52 फीसदी महिलाओं के दम पर ही वर्ष 2021 तक ही पूरा किया जा सकता है. फिर...

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निवेश के फायदे पर संशय-- सतीश सिंह

चालू वित्तवर्ष में सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) के अंशधारकों की जमा पूंजी का दस प्रतिशत एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (इटीएफ) यानी शेयर में निवेश करेगी, जबकि वित्तवर्ष 2015-16 में यह सीमा पांच प्रतिशत थी। पिछले वित्तवर्ष में इपीएफओ ने इटीएफ में 6577 करोड़ रुपए निवेश किया था, जिसमें उसे 13.24 प्रतिशत का रिटर्न मिला था, जबकि उस कालखंड में दूसरे शेयरों में मंदी की स्थिति बनी हुई थी। मौजूदा...

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अजब चिकनगुनियामय देश हमारा - मृणाल पांडे

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पुणे, लखनऊ और चंडीगढ़ जैसे कई बड़े शहर इन दिनों चिकनगुनिया, डेंगू और तमाम तरह की बरसाती पानी के जलभराव से उपजी महामारियों के शिकार हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में तिल धरने की जगह नहीं, घर-घर लोग तड़प रहे हैं और तमाम उपलब्ध सरकारी-गैरसरकारी अस्पताल नाकाफी साबित हो रहे हैं। अधिकतर बीमार शहरी मलिन बस्तियों के वे गरीब हैं, जो हर तरह की नागर सुविधा...

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