देश में 2014 और 2015 में किसानों की खुदकुशी के मामले में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, 2014 में 5650 और 2015 में 8000 से अधिक मामले सामने आए। एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी के मामले सबसे अधिक हैं, यहां कमी नहीं आ रही है। 2014 से 2015 के बीच राज्य में...
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आत्महत्या करने वाले दलित शख्स को 1991 में दिया गया था ‘गांव निकाला’
गुजरात में प्रभात परमार नाम के एक दलित शख्स ने सोमवार (17 अक्टूबर) को आत्महत्या कर ली। परमार ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान आत्महत्या की थी। वह प्रदर्शन गुजरात के जूनागढ़ जिले के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के दफ्तर के बाहर हो रहा था। प्रदर्शन के वक्त परमार, जिगनेश राठौड और चांदू परमार नाम के शख्स ने जहर खा लिया था। उसके बाद हॉस्पिटल में परमार की मौत हो गई। हालांकि,...
More »आखिर क्यों जल उठा बेंगलुरु-- आर सुकुमार
वह 2000 के दशक का शुरुआती वर्ष था। इंफोसिस लिमिटेड ने बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी के अपने कैंपस में एक शानदार विंग बनाई ही थी, तब मैं कंपनी के तत्कालीन चेयरमैन एन आर नारायण मूर्ति से मिलने गया था। हम जब कैंपस घूम रहे थे, और कारोबार व लोगों और लगभग हरेक इमारत के स्वागत कक्ष में रखे रंग-बिरंगे चमकीले छातों के बारे में बातें कर रहे थे, तब उन्होंने...
More »किसानों के लिए कसना होगी कमर- मृणाल पांडे
मृणाल पांडे। किसान से लेकर सरकार और बाजार तक इस बार खुश हैं कि मानसून अच्छा है। किंतु किसानी का भविष्य एक ही अच्छे मानसून से आमूलचूल नहीं सुधर सकता। खेतिहरों के जीवन में लगातार विकास के लिए स्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, अनाज का बेहतर विपणन-भंडारण, मुनाफे के सही निवेश से जुड़ी कई तरह की मदद भी जरूरी होती है। किसानी को लाभ का सौदा बनाने की जिम्मेदारी आखिरकार राज्य...
More »असमानता की जड़ें-- सतीश सिंह
सरकार चाहती है कि देश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हो, लेकिन वह बैंकों की सेहत सुधारने की दिशा में ठोस पहल नहीं कर रही है। मजबूत अर्थव्यवस्था की रीढ़ बैंकिंग क्षेत्र को माना गया है। अर्थव्यवस्था को बैंकों की मदद से ही संतुलित रखा जा सकता है। बैंकों की सकारात्मक भूमिका के बिना वित्तमंत्री देश के विकास के सपने को साकार नहीं कर सकते हैं। संपत्ति शोध कंपनी ‘न्यू...
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