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इसका किसानों को ही नुकसान होगा- देविंदर शर्मा

एआईसीसी की बीते दिनों हुई बैठक में राहुल गांधी ने बताया कि उन्होंने कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों को कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम (एपीएमसी ऐक्ट) के दायरे से फलों एवं सब्जियों को बाहर करने का निर्देश दिया है। उनके निर्देश पर ज्यादातर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने 15 जनवरी से पहले ही फलों एवं सब्जियों को एपीएमसी ऐक्ट से निकाल दिया था। हालांकि सच्चाई यह है कि बाजारों में आपूर्ति बढ़ने के कारण राहुल गांधी...

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किसने बनाया किसान को गरीब- कुसुमलता केडिया

भारत की हजारों वर्षों की जिस संपन्नता की बात की जाती है, वह मुख्यतया किसानों, शिल्पियों और व्यापारियों पर टिकी थी। राजकोष में आने वाले धन का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों से प्राप्त होता था। मनु-स्मृति, विष्णुधर्मसूत्र, गौतमधर्मसूत्र आदि में स्पष्ट व्यवस्था है कि सामान्यतया राज्य कृषि उत्पादन का बारहवां अंश लेगा। अगर कोई विशेष संकट उपस्थित हो तो आठवां या छठा अंश भी मांगा जा सकता है। कभी-कभार ही...

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संविधान ने दी गांव के आम लोगों को बड़ी ताकत

देश में हाल के दिनों में गणतंत्र दिवस को लेकर लोगों के मन में एक अलग तरह का दुराव पैदा हो गया है. लोगों को लगता है कि गणतंत्र दिवस मनाना बेकार बात है, झंडा फहराने और परेड करने से क्या फर्क पड़ता है. मगर पिछले दिनों एक दलित महिला विचारक ने कहा कि देश के सभी वंचितों को गणतंत्र दिवस जरूर मनाना चाहिये, क्योंकि इस देश के लोगों को आजादी...

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संविधान लागू कीजिए गांव बन जायेंगे गणराज्य- राहुल सिंह

हमारा संविधान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गांव को स्वावलंबी व उन्हें एक स्वायत्त शासन इकाई बनाने के सपने के अनुरूप है. हमारे गांव ऐसे हों, जो अपने फैसले खुद लें और अपनी जरूरत की अधिक से अधिक चीजों का उत्पादन खुद करें. संविधान में ग्राम पंचायत को एक स्वायत्त शासन इकाई के रूप में स्थापित करने के लिए विधानमंडल को सभी जरूरी उपाय करने का कहा गया है. भारत के...

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तेलंगाना की तस्वीर- विनय सुल्तान

जनसत्ता 16 नवंबर, 2013 :  तेलंगाना की सात दिन की यात्रा से पहले मेरे लिए तेलंगाना का मतलब था आंदोलनकारी छात्र, लाठीचार्ज, आगजनी, आत्मदाह, रवि नारायण रेड्डी और नक्सलबाड़ी आंदोलन। संसद के शीतकालीन सत्र में तेलंगाना के दस जिलों की साढ़े तीन करोड़ आबादी का मुस्तकबिल लिखा जाना है। मेरे लिए यह सबसे सुनहरा मौका था वहां के लोगों के अनुभवों और उम्मीदों को समझने का। पृथक राज्यों की मांग के पीछे...

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