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शटैंया पंचायत के प्रधान से ग्रामीण खौफजदा

संवाद सहयोगी, शिमला : शटैंया पंचायत के ग्रामीणों ने रविवार को पंचायत प्रधान पर आरोप लगाया कि उसकी गुंडागर्दी से गांव दहशत के माहौल में हैं। गांव के निवासी राजेंद्र वर्मा ने पंचायत प्रधान अमर सिंह पर आरोप लगाया कि वह कई साल से अवैध रूप से खनन कर रहा है। इससे ग्रामीणों की पानी की लाइन को भी नुकसान हो रहा है और पानी की भारी किल्लत हो रही है। राजेंद्र के मुताबिक शनिवार...

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हाले-सितम बयान किए और रो पड़े

सिलीगुड़ी [कार्यालय संवाददाता]। बात उन बच्चों की है, जो चाय बागानों से प्रधान नगर स्थित स्कूलों में लाए जा रहे। कई किलोमीटर का सफर और सवारी ट्रैक्टर से लगी डिब्बानुमा जालीदार ट्राली। यानि कि 'जेलगाड़ी'। इस आलम में मासूम बिलबिला रहे। ट्राली के भीतर न बैठने के लिए सीट है, न पकड़ने के लिए हत्था। एक-दूसरे से धक्के खाते बच्चे भीतर गिरते-पड़ते स्कूल पहुंचते हैं। तब तक उनकी हालत मरियल हो चुकी होती है। जाली...

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पत्थरों की खदानों से लौटा बचपन || बिदिसा फौजदार/शिरीष खरे ||

कभी बाल मजदूरी करने वाला महेन्द्र अब बच्चों के अधिकारों से जुड़ी कई लड़ाईयों का नायक है। महेन्द्र के कामों से जाहिर होता है कि छोटी सी उम्र में मिला एक छोटा सा मौका भी किसी बच्चे की जिंदगी को किस हद तक बदल सकता है। महेन्द्र रजक, इलाहाबाद जिले के गीन्ज गांव से है- जहां की भंयकर गरीबी अक्सर ऐसे बच्चों को पत्थरों की खदानों की तरफ धकेलती है। महेन्द्र...

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बाजार से चिल्हर गायब, बैंकों से हो रही कम सप्लाई

रायपुर. चार रुपए का सामान हो या सत्रह का लोगों को चिल्हर पैसे वापस नहीं हो रहे हैं। व्यापारियों की मानें तो बैकों से चिल्हर की सप्लाई नहीं हो रही है इस वजह से बाजार में चिल्हर की कमी हो गई है। चिल्हर न मिलने से लोगों को मन मारकर उतने पैसे का सामान लेना होता है या चॉकलेट, गुटखा आदि से काम चलाना पड़ता है। इससे सर्वाधिक फायदा दुकानदारों को ही हो रहा...

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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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