जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »SEARCH RESULT
खाद्य महंगाई में मामूली कमी
नई दिल्ली। फल-सब्जियों व चाय के दाम घटने से खाद्य महंगाई की दर में मामूली कमी आई है। खाद्य वस्तुओं के थोक मूल्यों पर आधारित यह दर 5 जून को समाप्त सप्ताह में 0.62 प्रतिशत घटकर 16.12 फीसदी हो गई। इससे यह उम्मीद बंधी है कि आने वाले दिनों में महंगाई दर घटेगी जैसा कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संकेत दिया है। इससे पिछले सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति दर 16.74 फीसदी पर...
More »दाल से टूटता रोटी का नाता
नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...
More »मूंग की दाल में लगी आग
नई दिल्ली। लगातार दूसरे सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी के साथ ही मूंग की दाल के दाम भी सातवें आसमान पर हैं। इतना ही नहीं यह सबसे महंगी दाल बन गई है। खुदरा बाजार में इस दाल की कीमत महज दो हफ्तों के भीतर 11 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई है। राष्ट्रीय राजधानी में यह फुटकर में 105 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। जबकि 14...
More »फिर भी नहीं गलती दाल
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। जबर्दस्त समर्थन मूल्य और इसका तीन गुना बाजार मूल्य। फिर भी दलहन की खेती में दाल नहीं गल रही है। मांग व आपूर्ति के भारी अंतर कारण होने वाला जबर्दस्त मुनाफा भी किसानों को नहीं लुभा पा रहा है। पिछले पांच सालों में न्यूनतम समर्थन मूल्य [एमएसपी] दोगुना से अधिक बढ़ा है और बाजार मूल्य पांच गुना। लेकिन दलहन खेती के रकबे में मामूली वृद्धि हो पाई...
More »