पूरे देश में पानी को लेकर झगड़े शुरू हो चुके हैं। कहीं धारा-144 लगी है, तो कहीं बंदूकों के साये में पानी की चौकीदारी हो रही है। जगह-जगह पानी पर ताले लगे हैं। कई जगह रसूखदारों और दबंगों ने पानी पर अपना अधिकार जमा लिया है। पहले फसल चौपट हुई थी और अब लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा। पानी तो खैर पहले भी बिकता था, अब...
More »SEARCH RESULT
दादी से सीखी कला से खड़ा किया अपना रोजगार
बचपन में सीखी गयी कला कभी रोजगार का जरिया बन जायेगी, यह सोचा भी नहीं था. जयनगर, मधुबनी की नाजदा खातून बचपन में दादी से सिक्की बुनाई सीखा करती थीं. उनकी ख्वाहिश थी कि उनके हुनर को लोग दूर-दूर तक जानें और लोग भी इस पारंपरिक कला से जुड़ें. लेकिन तब ऐसा नहीं हो सका. ग्रामीण परिवेश की नाजदा की शादी कम उम्र में हो गयी और यह अरमान मन...
More »सिर उठाते दिख रहे हैं दो संकट - राजीव सचान
सहज मार्ग से नाम से प्रचलित आध्यात्मिक संस्था श्रीरामचंद्र मिशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष रामचंद्र ने 1966 में प्रकाशित अपनी पुस्तक रियल्टी एट डॉन में भारत के उत्थान और पश्चिम के पराभव का एक खाका खींचा है। उन्होंने लिखा है कि इस पराभव का एक कारण पश्चिम में धरती के गर्भ में सक्रिय होने वाले ऐसे ज्वालामुखी भी बनेंगे जो अभी सुप्त अवस्था में हैं। पता नहीं, वह सब कुछ...
More »कहीं सहायक नदियां सूखीं तो कहीं जहरीली हो गईं
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सहायक नदियां भी दुर्दशा का शिकार हैं। रुहेलखंड में गंगा की सहायक नदी इतनी ज्यादा प्रदूषित हैं कि उसके पानी से फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। गोमती की सहायक नदियों में पानी सूख चुका है। उत्तराखंड में गंगा की सहेलियों के लिए बिजली उत्पादन ने संकट पैदा कर दिया है। एक नजर- रुहेलखंड में रामगंगा प्रदूषण की शिकार बरेली। रुहेलखंड में गंगा की सहायक नदी रामगंगा...
More »‘गाइड’ के दृश्य का दोहराव क्यों?- शेखर गुप्ता
यदि आपने देव आनंद की 1965 की क्लासिक फिल्म ‘गाइड' देखी हो तो टीवी स्क्रीन पर सूखे से प्रभावित क्षेत्रों खासतौर पर महाराष्ट्र के दृश्य अापको पहले देखे हुए से लगेंगे। फिल्म के अंतिम हिस्से में राजू गाइड सूखे से प्रभावित क्षेत्र के एक मंदिर में शरण लेता है। गांव वालों को लगता है कि वे कोई पहुंचे हुए स्वामीजी हैं और ग्रामीण उसे तब तक उपवास करने पर मजबूर...
More »