-सत्याग्रह, 1920 के दशक में शुरू हुई डासलर ब्रदर्स शू फैक्ट्री नाम की एक कंपनी ने कुछ ही साल में जर्मनी में धूम मचा दी थी. खिलाड़ियों के लिए जूते बनाने वाली इस कंपनी को एडोल्फ और रुडोल्फ नाम के दो भाई चलाते थे. एडोल्फ ने कंपनी शुरू की थी और बाद में उनके बड़े भाई रुडोल्फ भी उनके साथ आ गए. सब बढ़िया चल रहा था. लेकिन दूसरे विश्व युद्ध...
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यूपी : धान का सरकारी रेट 1888, किसान बेच रहे 1100-1200, क्योंकि अगली फसल बोनी है, कर्ज देना है
-गांव कनेक्शन, उत्तर प्रदेश में पीलीभीत जिले के रहने वाले किसान जरनैल सिंह (50 वर्ष) अपना एक ट्राली धान लेकर पलिया मंडी बेचने गए थे लेकिन धान नहीं बिका। उन्हें वापस मायूस होकर घर लौटना पडा। रास्ते में उनकी मुलाकात गांव कनेक्शन से हुई। जरनैल सिंह बताते हैं, "एक ट्राली धान ले गए थे, लेकिन किसी व्यापारी ने खरीदा ही नहीं। जो रेट दे रहे थे वो 1000-1100 रुपए कुंतल का...
More »कम ही लोग जानते हैं कि चे गेवारा भारत आए थे और न के बराबर यह कि वे यहां क्या करने आए थे
-सत्याग्रह, वे छह महीने पहले क्यूबा में हुई सशस्त्र क्रांति के बड़े नायक थे. सरकार के गठन के बाद राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो ने उन्हें तीसरी दुनिया के देशों से संबंध कायम करने का जिम्मा सौंपा. क्यूबा की क्रांति के दूत बनकर चे ने कई देशों की यात्रा की. भारत सरकार से उन्हें खास बुलावा था, जिसने फिदेल कास्त्रो की सरकार को फौरन मान्यता दी थी. मिस्र होते हुए चे गेवारा भारत...
More »गुजरात मॉडल को भूल जाइए, भविष्य यूपी मॉडल का है
-द वायर, मानो उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित किशोरी के साथ बलात्कार और प्रताड़ना कम डरावनी थी, पुलिस ने शव को घर ले जाने देने की अपील को खारिज करते हुए रातोंरात सबसे छिपकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. बलात्कार का आरोप ठाकुर जाति के चार पुरुषों पर है. यह पूरा वाकया अगड़ी जाति के अहंकार और पुलिस की हृदयहीनता को दिखाता है. भारत में पुलिस दुर्भावना से भरी हुई और...
More »अर्थातः राहत ऐसी होती है !
-इंडिया टूडे, मुंबई में दो साल तक काम करने के बाद, सितंबर 2019 में कीर्ति की मेहनत कामयाब हुई, जब उसे लंदन की मर्चेंट बैंकिंग फर्म में नौकरी मिल गई. वह लंदन को समझ पाती इससे पहले कोविड आ गया. नौकरी खतरे में थी. लेकिन अप्रैल में ही उसकी कंपनी सरकार की जॉब रिटेंशन स्कीम (नौकरी बचाओ सब्सिडी) में शामिल हो गई. पगार कुछ कटी लेकिन नौकरी बच गई. बहुत नुक्सान...
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