नई दिल्ली। देश में कृषि क्षेत्र की भयावह दुर्दशा की बानगी बीते 20 वर्षों (1995 से 2015 तक) में 3.30 लाख से ज्यादा किसानों की आत्महत्या से मिलती है। सर्वाधिक आत्महत्या 12 राज्यों में हुई हैं, इनमें 60 हजार के आंकड़े के साथ महाराष्ट्र सबसे आगे है। अरबों रुपए के कृषि बजट व लंबी व बड़ी योजनाओं के बावजूद मौसम की मार से आहत किसान हर साल हजारों की संख्या में...
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ज्यादा बच्चों की वजह से मर रहे हैं किसान, बोले कलेक्टर
बेमौसम बरसात से देशभर के किसानों की फसल तबाह हुई है। गरीबी से जूझ रहे हजारों किसान फसल की बर्बादी और अपनी तबाही बर्दास्त नहीं कर पा रहे हैं। कोई जीवन की आशा छोड़ मौत को गले लगा रहा है तो कोई सदमें से आकर दम तोड़ रहा है लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो किसानों की आत्महत्या पर बेतुके बयान देने में भी नहीं हिचक रहे। मध्य प्रदेश के भिंड...
More »मौत के खतरे से क्यों मूंदें आंखें? - डॉ. एके अरुण
रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तंबाकू निर्मित उत्पादों के 60 से 65 प्रतिशत हिस्से पर सचित्र चेतावनी प्रकाशित करने को अपना समर्थन दिए जाने के बाद इससे संबंधित विवाद का काफी हद तक पटाक्षेप तो हो गया है, पर तंबाकू व नशे के इस्तेमाल पर रोक के लिए बनी संसदीय समिति के सदस्यों (खासकर भाजपा सांसदों) की टिप्पणियों कि 'तंबाकू से कोई कैंसर या खतरा नहीं होता" को लेकर पहले ही...
More »ठंड से प्रदेश में एक भी मौत नहीं हुई: अखिलेश
उत्तर प्रदेश के ठंड से भले ही अब तक 31 मौतें होने की बात कही जा रही हो, लेकिन खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इससे इन्कार कर दिया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को पांच कालिदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर कहा कि प्रदेश में ठंड से कोई मौत नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे कंबल बांटने व अलाव जलवाने का काम प्राथमिकता...
More »जंगल से सीखें कुपोषण का इलाज- प्रताप सोमवंशी
ओडिशा देश के पिछड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य के आदिवासी इलाके अकाल, भुखमरी, कुपोषण के विशेषण को अपनी पहचान के साथ ढोते रहते हैं। इन्हीं आदिवासी इलाकों का एक दूसरा सच भी जान लीजिए- लिविंग फार्म की ओर से दो जिलों के छह गांवों की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक यहां खाने-पीने की 121 चीजें पाई जाती हैं। इनमें 30 किस्म के मशरूम, जिसे स्थानीय बोली में...
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