नये उद्यमियों की मदद का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प स्वागतयोग्य है. देश के युवाओं के पास नये उद्योग लगाने के आइडिया हैं, परंतु कार्यान्वित करने के लिए पूंजी नहीं है. सरकार द्वारा इन्हें समर्थन देने से इनकी छिपी हुई ऊर्जा बाहर आ सकती है और देश को आगे बढ़ा सकती है. लेकिन, केवल आर्थिक मदद से काम नहीं बनेगा, सही वातावरण भी बनाना होगा. तमाम ऐसे आइडिया हैं, जिन्हें...
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प्लास्टिक घास से ढकी छत से बिजली!
छत पर पर्यावरण अनुकूलित बगीचा या सोलर पैनल लगाने का चलन बढ़ रहा है. इस बीच वैज्ञानिकों के एक इंटरनेशनल टीम ने प्लास्टिक घास की तरह के एक मैटेरियल से छत को ढकने का नया आइडिया विकसित किया है, जिसके जरिये बिजली हासिल हो पायेगी. 'साइंस एलर्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, छत पर लगाये गये प्रत्येक प्लास्टिक ब्लेड मिनिएचर विंड टरबाइन की भांति काम करते हैं, जिससे घर में...
More »टिकाऊ पर्यावरण में भारत से बढ़कर कोई नहीं-- वीरेन्द्र रावत
गुजरात के भोड़ासा में नई स्कूल बिल्डिंग बना रहे थे। मैं पहाड़ी आदमी हूं, उत्तराखंड में। मुझे हरियाली की आदत है तो मैंने ट्रस्टीज को कहा कि क्या हम ग्रीन बिल्डिंग बना सकते हैं। उन्होंने पूछा कि इसका क्या मतलब है तो मैंने कहा कि यदि इमारत में प्रकृति के नियमों का पालन करें तो ऐसी इमारत ग्रीन कहलाती है। उनकी रजामंदी के बाद मैंने आर्किटेक्ट को मेरा विचार समझाया।...
More »मनरेगा के दस साल
दुनिया भर में रोजगार की सबसे बड़ी सरकारी योजना के रूप में प्रसिद्धि अर्जित कर चुके ‘मनरेगा' के दस साल पूरे होने पर नयी सरकार ने ठीक ही उसे राष्ट्रीय गौरव का विषय करार दिया है. व्यापक भ्रष्टाचार, पारदर्शिता के अभाव, निर्धारित दिनों से कम रोजगार देने और सरकारी धन को बगैर किसी पूंजीगत हासिल के बांटने के आरोपों के बावजूद, मनरेगा ने अपने दस साल के सफर में...
More »वे दीवारें, जिन्हें लांघना है मुश्किल - सईद नकवी
पहली कहानी एक पीएचडी छात्र रोहित वेमुला की है, जो कार्ल सागान जैसा अंतरिक्ष विज्ञानी बनना चाहता था, लेकिन अंतत: वह आत्महत्या कर लेता है। दूसरी कहानी सीवेज की सफाई करने वाले एक व्यक्ति की है, जो सीवेज में जिंदा कॉकरोच की तलाश करता है। उन्हें देखकर उसे सुरक्षा का अहसास होता है कि कम से कम जहरीली गैसों से उसकी मौत नहीं होगी। एक दिन उसका आकलन गलत साबित...
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