-द प्रिंट, पिछली बार दिप्रिंट हिन्दी के अपने इस स्तंभ में मैंने लिखा था कि बिहार विधानसभा के चुनाव को लेकर मेरे मन में क्यों उत्साह की कोई लहर नहीं उठ रही. मेरे लिखे पर पहली प्रतिक्रिया दिप्रिंट की ओपिनियन एडिटर रमा लक्ष्मी की आई. उन्होंने मुझे चिट्ठी में लिखा: एक सेफेलॉजिस्ट के रूप में आपके लिए ये सब लिखना बहुत तकलीफदेह रहा होगा. ये बहुत कुछ वैसा ही है जैसे...
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कोरोना काल में बिगड़ी घुमन्तु समुदाय (Nomadic Tribe) की औरतों की स्थिति
-सबरंग, डॉ भीमराव अम्बेडकर के अनुसार “किसी भी समाज की प्रगति का आकलन उस समाज में महिलाओं की प्रगति के द्वारा किया जा सकता है” लेकिन आज भी भारतीय समाज में औरतों ख़ास कर घुमंतू समाज के औरतों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. भारत सांस्कृतिक रूप से विविधता वाला देश है जिसमें विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लोग रहते हैं. हर वर्ग में महिलाओं की स्थिति भिन्न तरीके से...
More »आज लक्ष्मण स्वयं अपनी रेखा मिटाने को बहुत तत्पर है!
-सत्याग्रह, निजी की सार्वजनिकता तकनालजी ने यह अभूतपूर्व सुविधा सभी को, जो उसका इस्तेमाल करते हैं, सहज ही उपलब्ध करा दी है कि आप जो चाहें वह मोबाइल आदि पर सीधे दिखा सकते हैं - अपने रहने की जगह, काम करने की मेज़, आस-पास के पेड़-पौधे, अपनी पुस्तकें, ताज़ा बनायी सब्जियां, काफ़ी या चाय के प्याले, पालतू कुत्ते या बिल्लियां, अपना रसोईघर आदि. सैकड़ों लोग रोज़ लगातार अपने को फ़ेसबुक, सोशल मीडिया आदि पर...
More »ट्रंप भले ही हार जाएं लेकिन अमेरिका में ट्रंपवाद का उभार हो चुका है, यह प्रदर्शन से ज्यादा पॉपुलिज्म पर निर्भर है
-द प्रिंट, अमेरिकी राष्ट्रपति के इस चुनाव की राजनीतिक उपलब्धि यह नहीं होगी कि कौन जीता. यह तो तय है कि चुनाव वही जीतने जा रहा है, जो जीत का हकदार है. लेकिन इससे भी आगे जाकर देखें तो भविष्य में अमेरिका और भारत समेत दुनिया के दूसरे लोकतंत्रों की राजनीति पर इस तथ्य का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने वाला है कि डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग 50 फीसदी पॉपुलर वोट हासिल कर...
More »अमेरिका चुनावः बाइडन का रुख़ भारत से जुड़े कई मसलों पर ट्रंप से है अलग
-बीबीसी, डोनाल्ड ट्रंप को शिकस्त देने के साथ ही जो बाइडन का अमेरिकी राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ़ हो गया है. 77 साल के बाइडन ओबामा प्रशासन के दोनों कार्यकाल में उप राष्ट्रपति रह चुके हैं. बाइडन का राजनीतिक सफ़र बहुत लंबा रहा है. बतौर उप राष्ट्रपति भी उनका अच्छा-ख़ासा अनुभव रहा है और उन्हें विदेश मामलों का जानकार माना जाता है. ऐसे में दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्क का राष्ट्रपति बनने के बाद...
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