हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
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प्रतिबद्ध पत्रकार बड़ा बदलाव ला सकते हैं- ज्यां द्रेज
1. झारखंड की स्थापना का एक दशक पूरा हुआ। झारखंड के बारे में आपका मूल्यांकन क्या कहता है ? झारखंड की जनता ने अलग राज्य बनाने के लिए जब लडाई ठानी तो आस यह लगी थी कि राज्य बना तो उन्हें अपनी जिन्दगी संवारने के बेहतर मौके मिलेंगे।झारखंड की जनता के लिए यह एक तरह से मुक्ति-यज्ञ था।लेकिन हुआ इसके उलट, झारखंड की स्थापना से ताकत उन्हीं की बढ़ी जिनसे जनता...
More »आदिवासी सहकारी समितियों की बदलेगी सूरत
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। अगर सरकार की मंशा सफल हो गई तो किसानों व ग्रामीण इलाकों में कर्ज देने वाली प्राथमिक कृषि कर्ज समितियां और आदिवासी सहकारी समितियां शीघ्र ही मजबूत संस्थानों के तौर पर काम करने लगेंगी। केंद्र सरकार इन समितियों को सीमित आधार वाले मजबूत वित्तीय संस्थानों में तब्दील करने पर विचार कर रही है, ताकि दूर-दराज के इलाकों व बेहद पिछड़े वर्ग में तेजी से बैंकिंग सेवा...
More »जारी रहेगी सब्सिडी : सुखबीर
जालंधर . आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को दी जा रही सब्सिडी किसी भी सूरत में बंद नहीं की जाएंगी। पंजाब में मुफ्त बिजली की सुविधा पाने वालों में 99 प्रतिशत छोटे किसान हैं। दो जून की रोटी के लिए जूझते बीपीएल परिवारों की फ्री आटा दाल स्कीम और मुफ्त बिजली सुविधा बंद करना अपराध समान होगा। यह बात शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार...
More »कॉमनवेल्थ खेल- दिल्ली से मजदूरों की बेदखली का आयोजन
जिस व्यक्ति, संस्था या विभाग ने तैयारियों में थोड़ा सा भी योगदान किया था कॉमनवेल्थ खेलों के उद्धाटन समारोह लंबे भाषणों में सबको याद किया गया। क्या किसी को इन भाषणों में उन हजारों मजदूरों के लिए भी आभार का एक शब्द सुनाई दिया जिनकी मेहनत से यह विश्वस्तरीय आयोजन संभव हो सका। शायद यह अनजाने में होने वाली भूल हो या फिर यह भी हो सकता है कि ऐसा करना जरुरी ना लगा हो। वैसे भी,...
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