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मॉडर्ना और फाइजर दवा कंपनी की कोरोना वैक्सीन 90 फीसदी असरदार, मगर अब बड़ा सवाल – आगे क्या ?

-गांव कनेक्शन, आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस की एक प्रमाणिक वैक्सीन बनने का इंतजार कर रही है। अच्छी खबर यह है कि अमेरिका की फार्मा कंपनी मॉडर्ना और फाइजर ने तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में अपनी-अपनी वैक्सीन का कोरोना संक्रमण के इलाज में 90 फीसदी तक असरदार होने का दावा किया है। अब बड़ा सवाल यह है कि हर दिन कोरोना संक्रमण दर के नए रिकॉर्ड बना रहे भारत के लिए...

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प्रकृति और पर्यावरण के लिए क्या महत्व रखता है आदिवासियों का सरना धर्म

-न्यूजलॉन्ड्री, देश में लंबे समय से आदिवासी समाज अपनी अलग धार्मिक पहचान की मांग करता आया है. झारखंड इस मांग का केंद्र रहा है और हाल के दिनों में यहां इस मांग ने जोर भी पकड़ा है. यही वजह है कि झारखंड के गठन के बाद पहली बार राज्य सरकार आदिवासियों के लिए अलग से धर्मावलंबी यानी सरना आदिवासी धर्म कोड लाने के लिए तीन नवंबर 2020 को एक प्रस्ताव लेकर...

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सबक़ : एक बे‘बस’ प्रदेश, जहां सरकारी बसों पर सबसे पहले लगा था ब्रेक

-न्यूजक्लिक, पिछले दिनों उत्तर-प्रदेश सड़क राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों ने सरकार द्वारा की जा रही रोडवेज के निजीकरण की प्रक्रिया का विरोध किया था। इन कर्मचारियों ने अलग-अलग संगठनों के बैनर तले मुखर होकर सरकार के खिलाफ कई स्थानों पर प्रदर्शन भी किया था और जल्द ही एक बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी थी। दूसरी तरफ, भले ही एक तबका निजीकरण को समस्या के समाधान के रूप में देख...

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KBC 12 में करोड़पति बनने वाली नाज़िया नसीम

-बीबीसी, वो खूबसूरत हैं, उनकी भाषा अच्छी है, सलीके से बात करती हैं, तमाम सवालों के जवाब से लबरेज़ हैं, कॉन्फिडेंट हैं, फेमिनिस्ट हैं, खूब पढ़ती हैं और नौकरी करती हैं, घर भी चलाती हैं. ये नाज़िया नसीम हैं जिन्होंने भारतीय टेलीविजन के चर्चित शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (केबीसी) के ताज़ा सीजन में एक करोड़ रुपये जीते हैं और इसके साथ ही वो इस सीज़न की पहली करोड़पति बन गई हैं. 11 नवंबर...

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महामारी के दौर में बहुआयामी गरीबी के चक्र में फंसे लोग, 3 से 10 साल तक पिछड़ सकते हैं विकासशील देश!

बहुआयामी गरीबी मौद्रिक यानी पैसे आधारित गरीबी नहीं है बल्कि यह गैर-मौद्रिक आधारित गरीबी है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की चुनौतियों से दृढ़ता से जुड़ी है. हालाँकि पहले गरीबी को केवल मौद्रिक यानी धन आधारित गरीबी के संदर्भ में ही परिभाषित किया गया था, लेकिन अब गरीबी को लोगों के अनुभवों की जीवंत वास्तविकता और उनके द्वारा भोगे जाने वाले अनेकों अभावों से जोड़कर देखा जाता...

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