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कपास का निर्यात नए सीजन में बढ़ेगा

नए सीजन में घरेलू बाजार भाव विदेशी मूल्य से कम रहे तो कॉटन का निर्यात इस साल के मुकाबले काफी बेहतर रह सकता है। वर्ष 2009-10 में भारत से कॉटन का निर्यात दोगुना होकर 65 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) तक पहुंचने की उम्मीद है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के उपाध्यक्ष नयन सी. मीरानी के अनुसार वर्ष 2008-09 में घरेलू बाजार में भाव तेज होने और अंतरराष्ट्रीय बाजार...

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चावल आयात को कर मुक्त बनाएगी सरकार

नई दिल्ली : देश के करीब आधे हिस्से के सूखे की चपेट में आने के बाद खाद्यान्न की सप्लाई के मोर्चे पर सरकारी सतर्कता बढ़ती दिख रही है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने चावल पर आयात शुल्क खत्म करने का मन बना लिया है ताकि घरेलू बाजार में इसकी सप्लाई बढ़ाई जा सके। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि खाद्य मामलों पर वित्त मंत्री...

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इस सूखे में संभावना

इस साल के सूखे ने एक बार फिर ध्यान दिलाया है कि देश के जिन इलाकों में सिंचाई के साधनों के टोटे हैं वहां चावल और गेंहूं जैसे पेट भर पानी पीकर लहलहानी वाली फसलों के बजाय मोटहन मसलन-ज्वार-बाजार,मरुआ-मसुरिया जैसी फसलों को उपजाने की जरुरत है क्योंकि इन फसलों को पानी की कम जरुरत होती है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश की कुल ७० फीसदी कृषि भूमि सिंचाई के लिए...

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भूख से हारी जिंदगी और नाम अन्नदाता

82000 करोड़ रुपये खर्च किये जाने के बाद भी विदर्भ में इस साल अब तक 117 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. प्रधानमंत्री द्वारा दी गई इतनी बड़ी राहत राशि आखिर क्यों अपना असर नहीं दिखा पा रही है, जानने का प्रयास कर रही हैं रोहिणी । तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है जिस तरह की आंकड़ेबाजियां पिछले कुछ सालों में विदर्भ...

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दुष्काल, अकाल, सूखा सबके जिम्मेवार हम ही

आने वाले 15 वर्षों में भारत के खाद्यान्न का कटोरा अर्थात पंजाब और हरियाणा सूखाग्रस्त हो जाएंगे। वहां की धरती में सिंचाई के लिए पानी नहीं रह जाएगा। केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड की 2007 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 में सिंचाई के लिए भूमिगत जल उपलब्धता ऋणात्मक हो जाएगी। उदाहरण के लिए पंजाब में जितना जल जमीन में समाता है उससे 45 प्रतिशत अधिक जल खींच लिया जाता...

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