बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...
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किसानों के ब्याज अनुदान में कटौती
जयपुर. प्रदेश के 30 लाख से ज्यादा किसानों को सस्ते ब्याज (7 प्रतिशत) पर कर्ज देने के वादे से केंद्र सरकार ने हाथ खींच लिए हैं। उसने वित्त वर्ष के बीच में ही अचानक सहकारी बैंकों को ब्याज राहत के एवज में दिए जाने वाले 2 प्रतिशत अनुदान को घटाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया है। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने सहकारी बैंकों को इस संबंध में सर्कुलर भेजकर नए प्रावधान...
More »गंदा है, पर धंधा है- विमलेश मिश्र
विमलेश मिश्र, जमशेदपुर : ये दूसरों की गंदगी साफ करते, मगर खुद नारकीय जीवन जी रहे हैं। गंदगी साफ करते-करते चर्म, टीबी व कुष्ठ जैसे असाध्य रोग इन्हें घेर लेते हैं। अनुसूचित जाति के हैं, मगर सुविधा कुछ को ही। पहले सफाई के लिए सरकार या कंपनी से नौकरी मिल जाती थी, अब ठेकेदार से मिलने वाली मजदूरी पर जीवन टिका है। संसद ने कानून बना सिर पर मैला ढोने...
More »किसानों पर गरमाई राजनीति
भोपाल. प्रदेश में किसानों की खुदकुशी के मामले पर सियासत गरमाने लगी है। कांग्रेस ने रविवार को गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया और मुख्यमंत्री के पुतले जलाए। दूसरी तरफ केंद्र की किसान विरोधी नीतियों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के आमरण अनशन के ऐलान पर भाजपा सक्रिय हो गई है। चौहान के अनशन के साथ भाजपा पूरे प्रदेश में धरना देगी। इस मुद्दे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी मैदान...
More »सरकार के इंतजार में कुंवारी रह गईं हमारी बेटियां
रांची। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सरकार ने 2010-11 में बीपीएल परिवारों की 10 हजार बेटियों की शादी कराने का लक्ष्य रखा था, लेकिन वह मात्र एक हजार लड़कियों के हाथ ही पीले करा सकी। नौ हजार सिर्फ इंतजार करती रह गईं। इससे अभिभावकों को उनके विवाह के लिए जमीन बेचनी पड़ी या कर्ज लेना पड़ा। कई तो पैसे के अभाव में अब तक कुंवारी हैं। इस मद में 10 करोड़...
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