भागलपुर, [रूप कुमार]। कहा जाता है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इसे सार्थक कर दिखाया है गंगा पार के एक किसान पिता-पुत्र ने। पिता-पुत्र आज अपनी एक बीघा जमीन पर नर्सरी के जरिए हर रोज हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं। कल तक इस किसान परिवार को रोटी के लाले थे, वहीं आज कई परिवार के बीच रोटी बांट रहे हैं। यशस्वी बने इस किसान का नाम है दीपनारायण...
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..मुट्ठीभर दाने को, भूख मिटाने को
गया [प्रभंजय कुमार]। पेट-पीठ दोनों मिलकर एक, चल रहा लकुटिया टेक, मुट्ठीभर दाने को, भूख मिटाने को..महाकवि निराला की यह पंक्तियां गया जिले के ईट-भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के बीच आज भी चरितार्थ हो रहीं हैं। कंपकंपाती सर्दी हो या तपती दुपहरिया, मेहनतकश मजदूरों को हर वक्त दो जून की रोटी की ही चिंता सताती रहती है। ईटों की पथाई करते-करते इनके जिस्म फौलाद की तरह भले ही कठोर हो चुके हों, लेकिन अभावों...
More »चौथी पास एक नन्ही टीचर
अकोढ़ीगोला [रोहतास, कमलेश कुमार]। रेल पटरी के पास पड़ी एक नवजात बच्ची। फुलवा की उस पर नजर पड़ी और घर ले आई। उसे जीने का मकसद और नवजात को नयी जिंदगी मिल गई। फुलवा ने उसका नाम 'भारत' की भारती रखा। उसका सपना कि वह पढ़ लिखकर टीचर बने और समाज को शिक्षित बनाए। फुलवा तो अब नहीं है, लेकिन उसकी बेटी अपने मां के मकसद को जरूर साकार कर रही है। वह टोले...
More »शिक्षा है अनमोल रतन पढ़ने का सब करो जतन
रातू [चंद्रशेखर उपाध्याय]। सब पढ़ें, सब बढ़ें, यह उनकी दिली ख्वाहिश है। सो, सारी उम्र लगा दी शिक्षा के प्रचार-प्रसार में। वह कहते हैं, शिक्षा अनमोल रत्न है, पढ़ने-पढ़ाने का यत्न सभी को करना चाहिए। अलबत्ता, जीवन में ऐसे दिन भी आते हैं, जब हम हताश हो जाते हैं, परंतु यह परीक्षा की घड़ी होती है। हम बात कर रहे हैं रातू चट्टी के डा लक्ष्मण उरांव की, जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों में मुकाम हासिल...
More »अमीरी-गरीबी के बीच बढ़ता फासला
नई दिल्ली [निरंकार सिंह]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि 11वीं योजना के अंत तक नौ फीसदी और 12वीं पंचवर्षीय योजना में 10 फीसदी विकास दर का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इसका फायदा समाज के हर वर्ग को मिले। इनकी सरकार लगातार समावेशी विकास के दावे कर रही है, लेकिन उसने विकास के उन तौर तरीकों को अपनाया है, जिससे समाज में विषमता बढ़ गई है। अमीरी और...
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