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गिद्धों के साये में एक दिन के हरेला मनाने से क्या होगा!

जनचौक, 18 जुलाई कल जब पूरे उत्तराखण्ड में हरेला मनाया गया और वृक्षारोपण की बाढ़ लायी गयी तब रात्रि में कुछ वीडियो शेयर किए थे। जिसमें सर्वाधिक वायरल वीडियो , जिसमें एक महिला के घास के बोझ को बहुत सी पुलिस और औद्योगिक पुलिस बल मिलकर नीचे रखवा रहे हैं, को लेकर सवाल था कि आखिर वे ऐसा कर क्यों रहे हैं ?  क्यों एक महिला की मेहनत को छीना जा रहा है? उस महिला...

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मानेसर छोड़ कर क्यों भाग रहे हैं प्रवासी मुसलमान मज़दूर?

गाँव सवेरा, 18 जुलाई  हाल ही में हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्र मानेसर के एक मंदिर में आयोजित हिंदू पंचायत में मुस्लिम दुकानदारों और विक्रेताओं के ‘आर्थिक बहिष्कार’ का ऐलान के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, आईएमटी मानेसर में एक झुग्गी के कई प्रवासी मज़दूर अपने गांव वापस जा रहे हैं। उधर, मानेसर प्रशासन ने बहिष्कार को गैरकानूनी बता मामले की जाँच के आदेश...

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एटा के 50 गांवों में पेयजल संकट, योजनाएं फेल- उद्योगों पर पानी खारा करने का आरोप

क्विंट हिन्दी, 13 जुलाई   उत्तर प्रदेश  के एटा  के करीब 50 गांव भयानक पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं. इन गावों में कई सालों से पीने के पानी की भारी समस्या है. कुछ गांवों में पानी तो है लेकिन खारा पानी है. आज भी लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. गांव वालों का आरोप है कि कुछ फैक्ट्रियों के कारण पानी खारा हुआ है. इसके बाद...

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सात साल में कितना बदला देश में पहले हैबिटेट राइट्स वाला बैगाचक?

मोंगाबे हिंदी, 14 जुलाई  देश में पहली बार 2015 में मध्यप्रदेश के बैगाचक के सात गांवों में वन अधिकार क़ानून के अंतर्गत पर्यावास अधिकार यानी हैबिटेट राइट्स दिए गये थे। लेकिन इस इलाके के लोगों को अब भी इसका ठीक-ठीक मतलब नहीं पता है। जिन सात गांवों को हैबिटेट राइट्स दिए गए थे, आज तक उनका एक प्रामाणिक नक्शा तक नहीं बन पाया है। देश में हैबिटेट राइटस से संबंधित दिशा-निर्देश के लिए...

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ग्राउंड रिपोर्टः धुंआ और राख के बीच घुटती लाखों जिंदगियां

जनचौक, 15 जुलाई  जब मेरे इलाके में फैक्ट्रियां लगनी शुरू हुई थीं, तो मेरी उम्र लगभग 40 साल थी। मेरे गांव वाले बहुत खुश थे कि अब हमें रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। हमारे इलाके में नये-नये अस्पताल व विद्यालय भी खुलेंगे, चमचमाती सड़कें बनेंगी। लेकिन आज 30 साल बाद जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो महसूस होता है कि विकास के नाम पर हमारे इलाके...

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