पिछले आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख नारा था- ‘सबका साथ-सबका विकास'. अपने इस वादे पर अमल करते हुए सरकार ने पिछले एक साल में आम आदमी की समृद्धि और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई नयी योजनाएं शुरू कीं. कुछ पिछली योजनाओं में भी तब्दीली करते हुए उन्हें नये नाम और प्रारूप में शुरू किया गया. जन-धन, बीमा और पेंशन आदि से जुड़ी...
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'स्मार्ट' शहरों से हम क्या समझें? - अनुराग चतुर्वेदी
इन दिनों 'स्मार्ट" शब्द का खासा हल्ला मचा हुआ है। देखते-देखते 'स्मार्टफोन" पूरे भारत में छा गए। फोन की तकनीकों ने पूरा नजारा, पूरा बिजनेस ही बदल डाला। अब 'स्मार्ट सिटी" की बातें कही जा रही हैं। 100 स्मार्ट सिटी के मार्फत भारत के शहरों का नक्शा बदलने की तैयारी की जा रही है। मौजूदा वित्त वर्ष स्मार्ट सिटी क्रांति की शुरुआत का वर्ष होगा। देश में इस साल 20...
More »नकद हस्तांतरण से क्या हो पाएगी खाद्य सुरक्षा- रीतिका खेड़ा
सरकार ने भारतीय खाद्य निगम को प्रभावी रूप से चलाने के लिए शांता कुमार कमेटी का गठन किया। कमेटी ने साथ में खाद्य सुरक्षा कानून पर भी सुझाव दिए, जो न सिर्फ उसके कार्यक्षेत्र से बाहर है, बल्कि ये सुझाव आंकड़ों के गलत विश्लेषण के सहारे दिए गए हैं। कमेटी ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से सस्ता अनाज देने के बजाय नकद हस्तांतरण (कैश ट्रांसफर) का सुझाव दिया है। इसको...
More »अब गरीबों को गेहूं नहीं मिलेगा, चावल से चलाना पड़ेगा काम
बिलासपुर (निप्र)। जिले के अंतर्गत आने वाले 5 लाख 22 हजार 844 राशन कार्डधारकों को राज्य शासन ने करारा झटका दिया है। मंगलवार को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने एक आदेश जारी कर गेहूं के आवंटन पर रोक लगा दी है। आनन-फानन में खाद्य विभाग के अधिकारी राशन दुकान संचालकों को मोबाइल के जरिए गेहूं की आपूर्ति बंद करने संबंधी शासन के आदेश की जानकारी देने के साथ ही...
More »उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा
विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...
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