रांची । मनरेगा के तहत सूबे में बनने वाले तालाबों की उपयोगिता पर मंगलवार को विधानसभा में विधायकों ने सवाल उठाये और इसे जनता के पैसे की बर्बादी बताया। इसके स्थान पर बड़े डायमीटर वाले कूपों के निर्माण की मांग की। इस पर कृषि मंत्री ने आश्वस्त किया कि हर दो एकड़ भूमि के लिए एक बड़े कूप की व्यवस्था की जाएगी। मंत्री के बेटे को ही मिलेगा ठेका तो क्या होगा काम...
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निर्णायक कार्रवाई, निशाने पर आदिवासी!
नई दिल्ली [इरा झा]। नक्सलियों पर निर्णायक कार्रवाई को लेकर सरकार इस बार गंभीर नजर आ रही है, मगर उसकी तैयारी अब भी अधूरी ही दिखाई पड़ रही है। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम के लगातार आ रहे बयानों से ऐसा लगता है कि अब कभी भी नक्सल पीड़ित सात राज्यों में उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस बीच ऐसे विज्ञापनों के दौर भी चल रहे हैं, जिनसे...
More »नरेगा यानी लूट की पूरी छूट
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून यानी नरेगा की हकीकत जानना हो तो आपको झारखंड के लातेहार जिले में जाना चाहिए। आप चाहें तो पलामू, हजारीबाग और देवघर भी जा सकते हैं। सच तो यह है कि पूरा झारखण्ड ही आपको नरेगा की हकीकत से रू-ब-रू करा सकता है। भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले भूमिहीन, मजदूर एवं लघु कृषक परिवारों के आजीविका को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से रोजगार...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
More »भुखमरी-एक आकलन
खास बात - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में 24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...
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