नयी सरकार की आर्थिक घोषणा को ‘बिग बैंग' बताने के लिए इस्तेमाल किया गया. बाद में नयी सरकार की आर्थिक सफलता के दावे को सही ठहराने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि असलियत यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास के मामले में लंबे समय से बहुत अच्छा कर रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था मामूली उतार-चढ़ाव के साथ करीब 7.5 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से बीते 12 साल से...
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प्रदूषण के विरुद्ध
दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर पिछले कुछ बरसों से बराबर अध्ययन आते रहे। सबमें चेतावनी का ही स्वर था। पर ये चेतावनियां अनसुनी की जाती रहीं, या उन पर पर्याप्त गौर नहीं किया गया। अब दिल्ली के वायु प्रदूषण पर काबू पाने की कवायद तेज हो गई दिखती है। देर से ही सही, दुरुस्त आयद। पर यह अंदेशा भी पैदा हुआ है कि हड़बड़ी में कहीं अव्यावहारिक कदम तो...
More »एम्स के डॉक्टरों ने कहा- 40 मरीजों की रोशनी हमेशा के लिए गई
इंदौर, भोपाल। बड़वानी के सरकारी शिविर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन फेल होने के बाद अरबिंदो अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों को देखने ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) दिल्ली की टीम पहुंची। एम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम ने साफ कर दिया कि 40 मरीजों की आंखों की रोशनी अब नहीं आ सकती। स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप, घटिया सॉल्यूशन पूरे प्रदेश में तो सप्लाई नहीं हुआ! चार मरीजों में...
More »समस्याओं के शिखर, खाली होते पहाड़- अनिल प्रकाश जोशी
उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे सोच यह थी कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां और दुर्गमता विकास के अलग रास्ते की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों को यकीन था कि उनके हालात को समझने की क्षमता मैदानी नीतिकारों में नहीं है। केंद्र को झुकना पड़ा और राज्य की मांग पूरी हुई। लेकिन अब पलटकर देखें, तो इन 15 वर्षों में उत्तराखंड को आठ मुख्यमंत्रियों के अलावा शायद ही कोई...
More »डूब जाते हैं बनैनिया जैसे समृद्ध गांव और राजनीति उफ तक नहीं करती
महज पांच साल पहले कोसी नदी के किनारे एक खूबसूरत और समृद्ध गांव था बनैनिया. मिथिलांचल और कोसी के इलाकों को जोड़ने के लिए जब महासेतु बना, तो बनैनिया डूब गया. थोड़ी-सी प्रशासनिक सजगता इस गांव को बचा सकती थी. गुणानंद ठाकुर जैसे सांसद और मायानंद मिश्र जैसे बड़े साहित्यकार का यह गांव अब कोसी की धारा में समा गया है. गांव के लोग 22 अलग-अलग गांवों में रहते हैं....
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