जनसत्ता 24 दिसंबर, 2011 : आजादी के बाद आदिवासी ने क्या हासिल किया, इस विषय पर राजस्थान के बूंदी में दो दिन की चर्चा थी। इस अवसर पर किसी वक्ता ने यह नहीं कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद आदिवासियों की जीवन-दशा में किसी किस्म का बुनियादी बदलाव आया है। फिर आदिवासियों की उम्मीद और इस व्यवस्था के प्रति भरोसे को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में...
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कब खत्म होगी महिलाओं पर जुल्मों की दास्तां
जम्मू। महिलाओ पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए वर्ष 2010 के विधानसभा बजट सत्र के दौरान पारित होने वाला बिल एक साल बाद भी एक्ट नहीं बन पाया है। हालांकि दो महीने पहले विभाग ने नियम बना दिए हैं। लेकिन सरकार द्वारा अभी तक एक्ट को लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी नहीं की गई। एक्ट लागू होने से सोशल वेल्फेयर विभाग हर जिले में एक प्रोटेक्शन अफसर की नियुक्ति...
More »लोकपाल के अधीन- सीताराम येचुरी
आज जनता व्यग्रता से इंतजार कर रही है कि संसद एक कारगर लोकपाल संस्था कायम करे, ताकि उच्च पदों पर तथा सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। इसी संदर्भ में सरकार ने संसदीय स्थायी समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर विचार करने के लिए विगत 14 दिसंबर को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। संसदीय स्थायी समिति ने लोकपाल विधेयक के मौजूदा मसौदे और पिछले कुछ...
More »गुर्दा दान करनेवालों में 70% महिलाएं
देश की राजधानी दिल्ली के बड़े अस्पतालों के आंकड़े बताते हैं कि गुर्दा दान करनेवालों में लगभग 70 फ़ीसदी महिलाएं होती हैं. इनमें से ज्यादातर पत्नी या मां होती हैं. कई महिलाएं अपने पति या बेटे को नयी जिंदगी देने के लिए अपनी जान तक जोखिम में डालने से पीछे नहीं हटती हैं. सर गंगाराम अस्पताल में वर्ष 2011 में 190 मरीजों में गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया. इनमें से 131 मामलों में...
More »गुम होते बच्चों की फिक्र किसे है- अजय सेतिया
जनसत्ता 14 दिसंबर, 2011: पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक अत्यंत गंभीर विषय पर चर्चा हुई। विषय था, देश में बच्चों के अपहरण की बढ़ रही घटनाएं। विषय की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्चों के अपहरण पर शोध आधारित पुस्तक का विमोचन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अल्तमस कबीर खुद मौजूद थे। इस गंभीर समस्या का सनसनीखेज खुलासा 1996...
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