बांदा। महुआ के फूल से बनी 'डोभरी' जंगल में बसे जनजातियों के लिए अब सपना हो जाएगी। 'डोभरी' जनजातियों के जीवन का एक प्रमुख सहारा रहा है। कोलुहा जंगल में पीढि़यों से बसे जनजातियों को अब भूखे पेट रात बितानी होगी। वन संपदा पर दबंगों की हुकूमत व सूखे की मार से मुंह का निवाला छिन गया है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के फतेहगंज क्षेत्र के कोलुहा जंगल में पीढि़यों से बसे जनजातीय...
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चौथी पास एक नन्ही टीचर
अकोढ़ीगोला [रोहतास, कमलेश कुमार]। रेल पटरी के पास पड़ी एक नवजात बच्ची। फुलवा की उस पर नजर पड़ी और घर ले आई। उसे जीने का मकसद और नवजात को नयी जिंदगी मिल गई। फुलवा ने उसका नाम 'भारत' की भारती रखा। उसका सपना कि वह पढ़ लिखकर टीचर बने और समाज को शिक्षित बनाए। फुलवा तो अब नहीं है, लेकिन उसकी बेटी अपने मां के मकसद को जरूर साकार कर रही है। वह टोले...
More »अमीरी-गरीबी के बीच बढ़ता फासला
नई दिल्ली [निरंकार सिंह]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि 11वीं योजना के अंत तक नौ फीसदी और 12वीं पंचवर्षीय योजना में 10 फीसदी विकास दर का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इसका फायदा समाज के हर वर्ग को मिले। इनकी सरकार लगातार समावेशी विकास के दावे कर रही है, लेकिन उसने विकास के उन तौर तरीकों को अपनाया है, जिससे समाज में विषमता बढ़ गई है। अमीरी और...
More »सिस्टम के गोडसों के लिए गोली है गांधी ग्राम
मुजफ्फरपुर [अमरेन्द्र तिवारी]। एक गांव ऐसा जहां चलती है 'अपनी' सत्ता। मोतीपुर प्रखंड में कुष्ठ रोगियों की बस्ती 'गांधी ग्राम' के लोगों ने अपने अधिकार की प्राप्ति तथा आपसी विवाद के निपटारे के लिए अपना मुखिया, सरपंच तथा पंच चुन लिया है। यह चुनाव भी पांच साल के लिए है। आपस का कोई मामला हो, सभी मिलकर सलटाते हैं। कुष्ठ रोगियों तथा उनके परिजनों का यह प्रयास जिले में एक अलग माडल बना हुआ है। ...
More »वलनीः छब्बीस बरस की गवाही
यह कहानी है नागपुर तालुका के गांव वलनी के लोगों की। वलनी में उन्नीस एकड़ का एक तालाब है। वलनीवासी 1983 से आज तक वे अपने एक तालाब को बचाने के लिए अहिंसक आंदोलन चला रहे हैं। छब्बीस वर्ष गवाह हैं इसके। न कोई कोर्ट कचहरी, न तोड़ फोड़, न कोई नारेबाजी। तालाब की गाद-साद सब खुद ही साफ करना और तालाब को गांव-समाज को सौंपने की मांग। हर सरकारी...
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