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डिजिटल मीडिया का सच-- अरिमर्दन कुमार त्रिपाठी

भारतीय लोकतंत्र की व्यापक परिधि में आज भी वह परिपक्वता नहीं है, जो किसी स्वस्थ समाज और लोक कल्याणकारी राज्य के लिए आवश्यक है। समाज में गरीबी, कम शिक्षा दर, सांप्रदायिक सोच, जातीय उन्माद, जेंडरगत कुंठा, व्यक्तिगत स्वार्थपरता और पूंजी के शातिराना खेल ने जिस परिवेश को बढ़ाया है, उसमें लोकतांत्रिक मूल्यों का लगातार क्षरण हो रहा है। जबकि देश में मीडिया के प्रति विश्वसनीयता की लंबी परंपरा रही है।...

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अंग्रेजी की दीवार गिराए बिना नहीं मिलेगी हिंदी को जमीन-- आशुतोष कुमार

हिंदी को लेकर माहौल फिर गर्म होने लगा है। इसके पीछे दो केंद्रीय मंत्रियों के ताजा बयान हैं। एक ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। सच्चाई यही है कि संविधान में राष्ट्रभाषा की कोई अवधारणा नहीं है। हिंदी सरकारी भाषा है, अंग्रेजी के साथ-साथ। संविधान लागू करते समय कहा गया था कि अगले पंद्रह वर्षों में अंग्रेजी हटा दी जाएगी। लेकिन गैर हिंदीभाषी राज्यों के विरोध के कारण ऐसा...

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असम में बाढ़ से हालात बिगड़े, अभी तक 26 लोगों की मौत, 5 लाख लोग प्रभावित

असम में बाढ़ से हालात काफी बिगड़ गए हैं। इस आपदा के कारण रविवार को एक और व्यक्ति की मौत हो गई। जबकि राज्य के 15 जिलों में करीब पांच लाख लोग प्रभावित हुए हैं। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल से बात की और राज्य के मौजूदा हालात का जायजा लेने के अलावा उन्हें हरसंभव केंद्रीय सहायता मुहैया कराने का भरोसा दिया।...

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और भी गम हैं जीएसटी के सिवा - मृणाल पाण्डे

जबर्दस्‍त सरकारी तामझाम के साथ जीएसटी का आगाज़ हो चुका है। इस वक्‍त भले ही हर जगह जीएसटी को लेकर चर्चा छिड़ी हो, पर तय है कि देश 2017 द्वारा विमोचित कुछ अन्य बडी चुनौतियों की चर्चा से काफी महीनों तक बरी नहीं हो पायेगा| मसलन स्वयंभू (कम से कम सरकार तो यही कह रही है) गोरक्षकों की देश भर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चलाई जा रही अंधी हिंसा की...

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असली कर्जदार कौन है?-- योगेन्द्र यादव

मंदसौर गोलीकांड को एक महीना हो गया. इस एक महीने में किसान के सवाल पर देश में संवेदना उभरी, कुछ समझ भी बनी. खुद किसान का संघर्ष मजबूत हुआ, एक संकल्प भी बना. लेकिन, क्या इस संवेदना और संघर्ष से कोई समाधान निकलेगा? पिछले एक महीने में किसान के सवाल पर जितनी चर्चा मीडिया में हुई, उतनी पिछले दस साल में नहीं हुई होगी. कम-से-कम अखबार पढ़नेवाले और टीवी...

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