जब एक अफवाह लोगों की जान लेने लगे, तो मान लेना चाहिए कि अब पानी सर से ऊपर बह रहा है और समय आ गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें इसमें हस्तक्षेप करें, इसके खिलाफ जागरूकता अभियान चलायें. ऐसा कहा जाता है कि अफवाहों के पंख होते हैं, ये उड़ती हैं. इनकी गति इतनी तेज है कि एक राज्य से दूसरे राज्य की सीमाओं को लांघते इन्हें समय नहीं...
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मेड और मैडम का वर्ग संघर्ष-- आशुतोष चतुर्वेदी
दिल्ली से सटे नोएडा से कुछ दिनों पहले खबर आयी कि घरेलू दाइयों, जिन्हें अंगरेजी में लोग ‘मेड' कहते हैं और ‘मैडम' लोगों में संघर्ष हो गया. यह अपने तरह की अलग घटना है. दाइयां घरों में काम करती रहती हैं. उनकी ओर न तो समाज का और न ही सरकारों का ध्यान जाता है. इन घरेलू सहायकों के बिना उच्च और मध्य वर्ग का जीवन कितना कठिन हो...
More »अंग्रेजी की दीवार गिराए बिना नहीं मिलेगी हिंदी को जमीन-- आशुतोष कुमार
हिंदी को लेकर माहौल फिर गर्म होने लगा है। इसके पीछे दो केंद्रीय मंत्रियों के ताजा बयान हैं। एक ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। सच्चाई यही है कि संविधान में राष्ट्रभाषा की कोई अवधारणा नहीं है। हिंदी सरकारी भाषा है, अंग्रेजी के साथ-साथ। संविधान लागू करते समय कहा गया था कि अगले पंद्रह वर्षों में अंग्रेजी हटा दी जाएगी। लेकिन गैर हिंदीभाषी राज्यों के विरोध के कारण ऐसा...
More »गाय के नाम पर हिंसा- 97 प्रतिशत घटनाएं मोदी राज की
गोवंश से जुड़ी हिंसा के मामले केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के बाद बहुत तेजी से बढ़े हैं। डाटा वेबसाइट इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के अनुसार साल 2010 से 2017 के बीच गोवंश को लेकर हुई हिंसा में 57 प्रतिशत पीड़ित मुसलमान थे। इस दौरान गोवंश से जुड़ी हिंसा में मारे जाने वालों में 86 प्रतिशत मुसलमान थे। इन आठ सालों...
More »किसानों से क्रूरता की राजनीति-- पवन के वर्मा
शिवराज सिंह चौहान संभवतः एक सदाशयी व्यक्ति हैं. व्यापम घोटाले के गहरे दाग के बावजूद, सामान्यतः उन्हें एक अच्छा प्रशासक माना जाता रहा है. यह भी संभव है कि अपने शासन में पुलिस की गोलियों से छह किसानों की नृशंस हत्या से वे वस्तुतः क्षुब्ध हों. मंदसौर में अमन और आम हालात की बहाली के लिए किया गया उनका एकदिनी अनशन उनके समर्थकों के अनुसार एक सद्भावनापूर्ण संकेत था, हालांकि...
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