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प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का क्यों विरोध कर रहे हैं मछुआरे और किसान

-डाउन टू अर्थ,  महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लगे पालघर जिले के समुद्री तट पर स्थित और पर्यावरण के लिए अति संवेदनशील क्षेत्र वाढवण में बंदरगाह निर्माण को लेकर स्थानीय लोग नाराज हैं। उनका आरोप है कि इस परियोजना के अंतर्गत पर्यावरण को होने वाले नुकसान का पर्याप्त अध्ययन नहीं किया गया। विरोध का दूसरा कारण यह है कि जैव विविधता और मछुआरों तथा किसानों की आजीविका की दृष्टि से यह पूरी...

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रोटी इंटरनेट से, पानी शेयर बाज़ार से

-न्यूजलॉन्ड्री, इस सप्ताह अमेरिकी स्टॉक बाज़ार में पानी की संभावित क़ीमतों पर बोली लगने की शुरुआत हो गयी है. यह इतिहास में पहली दफ़ा हो रहा है और इसी के साथ पानी भी सोने-चांदी, तेल, अनाज जैसी चीज़ों की क़तार में आ गया है, जिसकी क़ीमत अब वॉल स्ट्रीट पर तय होगी. दो साल पहले कैलिफ़ोर्निया में बने पानी का दाम तय करने वाले एक सूचकांक- नैसडैक़ वेलेस कैलिफ़ोर्निया वाटर इंडेक्स-...

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सरकार को एहसास हो रहा है कि केन-बेतवा जोड़ना एक गलत कदम है, लेकिन अब पीछे नहीं हटा जा सकता

-द प्रिंट, पर्यावरण मंत्रालय के एक एक्सपर्ट ग्रुप ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले एक अहम बांध को पर्यावरणीय मंजूरी देने से मना कर दिया. यह बांध मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के डिंडौनी में बनाया जाना प्रस्तावित था. इस मनाही का तात्कालिक और तकनीकी कारण यह है कि पर्यावरणीय मंजूरी के लिए उपयोग किए जाने वाला डाटा डेढ़ साल से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए और इसलिए...

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बिहार में डेढ़ मीटर गहराई तक मिट्टी की खुदाई अब खनन नहीं, ईंट-भट्ठों को पर्यावरण मंजूरी से छूट

-डाउन टू अर्थ, अब बिहार में ईंटों के लिए बिना किसी पर्यावरण मंजूरी के ही मिट्टी का खनन करीब 1.5 मीटर तक किया जा सकता है। ईंट-भट्ठों के लिए भले ही यह राहत की खबर है लेकिन बिहार जैसे कृषि प्रधान सूबे के लिए यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है। दरअसल मिट्टी की ऊपरी परत काफी महत्वपूर्ण होती है और खासतौर से उपज के लिए बेहद अहम भूमिका निभाती है।...

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प्रकृति और पर्यावरण के लिए क्या महत्व रखता है आदिवासियों का सरना धर्म

-न्यूजलॉन्ड्री, देश में लंबे समय से आदिवासी समाज अपनी अलग धार्मिक पहचान की मांग करता आया है. झारखंड इस मांग का केंद्र रहा है और हाल के दिनों में यहां इस मांग ने जोर भी पकड़ा है. यही वजह है कि झारखंड के गठन के बाद पहली बार राज्य सरकार आदिवासियों के लिए अलग से धर्मावलंबी यानी सरना आदिवासी धर्म कोड लाने के लिए तीन नवंबर 2020 को एक प्रस्ताव लेकर...

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