अमेरिका से आया पॉपुलर ट्री अब उत्तर भारत में पंजाब के अमृतसर से लेकर उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र बहराइच तक छा गया है। कमाई का मुख्य जरिया होने से किसान इस पेड़ को हाथों-हाथ ले रहे हैं। निजी क्षेत्र भी इस पेड़ के उत्पादन के लिए पीपीपी मोड में उतर गया है। कैश ट्री के तौर पर मशहूर हो चुके इस पेड़ से उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में...
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क्यों बढ़ रहा है जल-संकट? -- बाबा मायाराम
पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेष समेत देष भर में पानी का संकट बढ़ा है। यह समस्या प्रकृति से ज्यादा मानव-निर्मित है। वर्षा की कमी के साथ, वनों की अवैध कटाई, पुराने तालाबों पर अतिक्रमण, गाद भरने से सरोवरों की भंडारण क्षमता में कमी, पानी की फिजूलखर्ची, नदी, जलाषयों का पानी औद्योगिक इकाईयों को देने व षहरों के प्रदूषित पानी को नदियों के प्रदूषण और भूजल को बेतहाषा दोहन से समस्या...
More »खेती की उपेक्षा और खाद्य सुरक्षा- भारत डोगरा
जनसत्ता 21 मार्च, 2012: लोकसभा में पिछले वर्ष प्रस्तुत किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक से कोई सहमत हो या असहमत, पर इसके महत्त्च से इनकार नहीं किया जा सकता। मौजूदा रूप या इससे काफी मिलते-जुलते रूप में यह विधेयक पारित हो गया तो आने वाले अनेक वर्षों तक इसका हमारी खाद्य और कृषि व्यवस्था पर बहुत व्यापक असर पड़ेगा। इसलिए इस विधेयक से संबंधित जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे...
More »जल की जमींदारी- राजकुमार सोनी(तहलका)
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 40 किलोमीटर दूर दुर्ग जिले के गांव महमरा के बाशिंदे आज भी इस बात को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते कि सदियों से उनकी जीवनरेखा रही शिवनाथ नदी पर अब उनका पहले जैसा अधिकार नहीं रहा. यहां के एक ग्रामीण साधुराम बताते हैं, 'हमें तो अब नदी की तरफ जाने में ही डर लगता है कि कोई कुछ कह न दे.' दरअसल शिवनाथ छत्तीसगढ़ की...
More »महाघोटाले की 'जमीन'- शिरीष खरे(तहलका)
किस तरह जयपुर में 1500 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन को प्रशासनिक अधिकारियों और बड़े रसूख वालों की आवासीय कॉलोनी में बदलने के लिए एक नहीं बल्कि दर्जनों नियम तोड़े गए. शिरीष खरे की रिपोर्ट जयपुर के पॉश इलाके से गुजरते हुए शहर को जोड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है जेएलएन मार्ग. यहां जमीनों के भाव आसमान छूते हैं. यहीं गुलाबी शहर के सबसे कीमती इलाके जवाहर सर्किल से सटी है...
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