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बिहार में इंसेफलाइटिस का कहर, अब तक लगभग 150 बच्चों की मौत

मुजफ्फरपुर: एइएस से नौ और मासूमों की जान चली गयी, जबकि 19 पीड़ितों को एसकेएमसीएच व केजरीवाल में इलाज के लिए भरती कराया गया. मंगलवार से मौसम में आये बदलाव को देखते हुए माना जा रहा था कि बीमारी में कमी आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एसकेएमसीएच में मौत का सिलसिला जारी रहा. एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल में भरती होने वाले नये मरीजों की संख्या में पिछले दिनों की अपेक्षा कुछ कमी आयी है....

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महिलाएं सूखी नदी का सीना चीरकर लातीं हैं पानी

श्रवण शर्मा/बालाघाट। पांजरा में पीने के पानी के लिए पसीने बहाना रोजमर्रा की मजबूरी है। खैरलांजी तहसील के इस गांव में महिलाओं को तपती धूप में डेढ किमी का फासला तय कर पानी मुहैया होता है। यहां रोजाना पैरों व हाथों की वर्जिश का सिलसिला शुरू होता है। दरअसल, सूखी चनई नदी में एक-एक स्थान पर दर्जनभर महिलाएं पानी के लिए गड्ढा खोदकर झील बनाती है। फिर घंटों पसीना बहाकर निकले...

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2.20 लाख पानी कनेक्शन उपलब्ध करायेगी सरकार

रांची: केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में झारखंड को 2.20 लाख टैप कनेक्शन उपलब्ध कराने को कहा है. वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए यह लक्ष्य राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत झारखंड को दिया गया है. पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से इसके लिए सभी प्रमंडलों के अधीक्षण अभियंताओं को कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया गया है. विभाग की ओर से कहा गया है कि वैसी ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं,...

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मानक से पांच गुना अधिक आर्सेनिक पी रहे बिहार के लोग

पीने के पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिकतम 0.01 मानक के मुताबिक काम कर रहे हैं। बीआईएस ने 0.05 मि.ग्रा आर्सेनिक प्रति लीटर तक की अनुमति दे रखी है। गौरतलब है कि सूबे के गंगा किनारे स्थित जिले वैशाली, सारण, समस्तीपुर, पटना, मुंगेर, लखीसराय, खगडिया, बेगूसराय, दरभंगा, बक्सर, भोजपुर, कटिहार सहित 13 जिलों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है। भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.05 मि.ग्रा से अधिक पाई...

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विकास के मॉडल का सवाल- के पी सिंह

जनसत्ता 22 मई, 2014 : चुनाव प्रचार के दौरान विकास के बहुतेरे मॉडल विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत किए गए। इससे पहले के चुनावों में भी विकास का कोई न कोई खाका पेश करके राजनीतिक दल मतदाताओं का विश्वास हासिल करते रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में अधिकतर नागरिक आज भी स्वच्छ पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे...

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