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मुसलमानों को नागरिकता क्यों नहीं?- आकार पटेल

मैंने आप्रवासन (इमीग्रेशन) पर छपी एक खबर देखी, जिसके बाद मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि सरकार जो कर रही है क्या उस पर उसने सोचा भी है. ‘द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘असम और पश्चिमोत्तर भारत के कुछ हिस्सों पर दूरगामी असर डालनेवाला एक कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन करेगा, जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश से भाग...

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घरेलू कामगारों के प्रति तंग नजरिया- सुभाषिनी सहगल अली

किसी एक 'दिन' पर मचे सरकारी और गैर-सरकारी शोर में दूसरा उतना ही महत्वपूर्ण या शायद उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण 'दिन' पूरी तरह से छिप जाता है। 16 जून को पड़ने वाले 'अंतरराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस' के साथ ऐसा ही हुआ है। 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' पर मच रहे कोलाहल ने देश भर मे अपनी मेहनत के बल पर संपूर्ण अर्थव्यवस्था के बहुत बड़े हिस्से को कायम रखने वाली करोड़ों गरीब...

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सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

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प्रवासी कामगारों की बेहतरी की चिंता- पत्रलेखा चटर्जी

यमन में गृहयुद्ध ने पश्चिम एशिया में भारतीय प्रवासियों की दुर्गति को केंद्र में ला दिया है। वैसे तो हमारी सरकार युद्धरत क्षेत्र से भारतीयों को निकाल लाने की हरसंभव कोशिश कर रही है, लेकिन अनेक भारतीय ऐसे हैं, जो खुद ही वहां से नहीं निकलना चाहते। मसलन, केरल की अनेक नर्सें, जिनके अभिभावकों ने पहले उनके प्रशिक्षण, और फिर उन्हें विदेश भेजने के लिए भारी कर्ज लिया, वहां से...

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कभी गांव में निर्वस्त्र घुमाई गई महिला पंचायत चुनाव के मैदान में

आशुतोष शर्मा, महासमुंद। बिसाहिन बाई को टोनही बताया गया, उन पर और उनके गांव की अन्य दो महिलाओं पर बेइंतहा जुल्म ढाए गए लेकिन बिसाहिन बाई ने हिम्मत नहीं हारी और आज वह प्रदेश भर में टोनही प्रताड़ना का दंश झेल रही महिलाओं के लिए प्रेरणा की संवाहक बन गई हैं। महासमुंद जिले की सरहद पर बसे गरियाबंद जिले के गांव लचकेरा में 22 अक्टूबर 2001 को एक बेहद शर्मनाक...

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