Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | घरेलू कामगारों के प्रति तंग नजरिया- सुभाषिनी सहगल अली

घरेलू कामगारों के प्रति तंग नजरिया- सुभाषिनी सहगल अली

Share this article Share this article
published Published on Jun 20, 2015   modified Modified on Jun 20, 2015
किसी एक 'दिन' पर मचे सरकारी और गैर-सरकारी शोर में दूसरा उतना ही महत्वपूर्ण या शायद उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण 'दिन' पूरी तरह से छिप जाता है। 16 जून को पड़ने वाले 'अंतरराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस' के साथ ऐसा ही हुआ है। 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' पर मच रहे कोलाहल ने देश भर मे अपनी मेहनत के बल पर संपूर्ण अर्थव्यवस्था के बहुत बड़े हिस्से को कायम रखने वाली करोड़ों गरीब औरतों की पहले से ही दबी आवाज को बिल्कुल ही अनसुना कर दिया।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक, भारत में करीब छह करोड़ घरेलू कामगार महिलाएं हैं। केंद्र सरकार का मानना है कि यह संख्या ढाई करोड़ की है। यानी घरेलू कामगार दिवस करोड़ों महिलाओं के नाम है। यह उनके अधिकारों, उनकी जरूरतों और मानवता को स्वीकार करने का दिन है। पर उसे हम सबने बहुत आसानी से भुला दिया। जिन घरों में ये महिलाएं काम करती हैं, उनमें रहने वालों की तमाम जरूरतें वे पूरा करती हैं। उनके महत्व का पता तब चलता है, जब वे किसी कारण से काम पर नहीं आतीं। उनसे काम लेने वालों का ज्यादातर ध्यान उन पर किए जाने वाले एहसान पर रहता है, न कि उनके योगदान पर। यही वजह है कि अपने देश में घरेलू कामगारों को अभी तक एक ऐसा श्रमिक माना नहीं गया है, जिनके काम के घंटे और वेतन तय होने चाहिए।

तमाम आंदोलन के बाद 2008 मे केंद्र सरकार ने 'घरेलू कामगार (पंजीकरण, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) कानून पारित किया, जिसके द्वारा उनके वेतन और काम की परिस्थितियां नियंत्रित की गईं। इस कानून ने घरेलू कामगारों को न्यूनतम वेतन पाने का हकदार बनाने के साथ उनके तमाम अधिकारों को सुरक्षित किया। पर इसे अब तक लागू नहीं किया गया है। श्रम कानूनों को लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों की है। पर अब तक नौ राज्य सरकारों ने घरेलू कामगारों के बारे में सोचा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें श्रमिक के रूप में मान्यता दी है, उनके लिए कल्याण बोर्ड स्थापित किया। जबकि आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, राजस्थान ने उन्हें मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू की है। इनमें से कुछ राज्यों में उन्हें न्यूनतम कानून का हकदार भी माना गया है। यह अलग बात है कि उन्हें अभी यह अधिकार प्राप्त नहीं हुए हैं। महाराष्ट्र में उनके लिए बोर्ड स्थापित किया गया था, पर उसने काम करना बंद कर दिया है। सिर्फ केरल में उन्हें काम की न्यायपूर्ण शर्तें हासिल हो पाई हैं।

घरों में काम करने वाली महिलाओं का बड़ा हिस्सा दलितों, आदिवासियों और प्रवासी महिलाओं का है। इन्हें तरह-तरह की स्थितियों में काम करना पड़ता है। कुछ बंधुआ श्रमिक बना दिए जाते हैं, तो कुछ गुलाम! कइयों को शारीरिक और यौन प्रताड़ना दी जाती है। 16 जून करोड़ों घरेलू कामगार महिलाओं के लिए सिर्फ आश्वासन और खोखले वायदों का ही दिन रहा है। अगर उनमें से आधी महिलाएं भी अगले साल इस दिन को अपने अधिकार के रूप में मनाने का फैसला लेती हैं, तो उनकी अहमियत का एहसास एक झटके में हो जाएगा।

-माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद


घरेलू कामगारों के प्रति तंग नजरियाhttp://www.amarujala.com/news/samachar/reflections/columns/tight-outlook-for-domestic-workers-hindi/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close