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किसानों से क्रूरता की राजनीति-- पवन के वर्मा

शिवराज सिंह चौहान संभवतः एक सदाशयी व्यक्ति हैं. व्यापम घोटाले के गहरे दाग के बावजूद, सामान्यतः उन्हें एक अच्छा प्रशासक माना जाता रहा है. यह भी संभव है कि अपने शासन में पुलिस की गोलियों से छह किसानों की नृशंस हत्या से वे वस्तुतः क्षुब्ध हों. मंदसौर में अमन और आम हालात की बहाली के लिए किया गया उनका एकदिनी अनशन उनके समर्थकों के अनुसार एक सद्भावनापूर्ण संकेत था, हालांकि...

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उधार माफी से नहीं होगा उद्धार - प्रदीप सिंह

बीमारी पता हो और उसका इलाज भी, फिर भी बीमारी बनी रहे तो इसे क्या कहेंगे? अपने देश में किसानों और खेती-बाड़ी के साथ यही हो रहा है। बीते सात दशक से किसान को इंतजार है ऐसी सरकार का जो उसके मर्ज का इलाज करे, लक्षण का नहीं। समस्या इतनी-सी है कि किसान फसल उपजाने के लिए जितना खर्च करता है, उसे बेचकर वह उतना भी नहीं कमा पाता। सरकारों...

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किसानों के चक्काजाम का समर्थन नहीं करेगा भारतीय किसान संघ

रायपुर। छत्तीसगढ़ में किसानों के चक्काजाम को भारतीय किसान संघ समर्थन नहीं देगा। किसान संघ के प्रभाकर केलकर ने बुधवार को पत्रकारों से चर्चा में कहा कि हिंसा से निकले आंदोलन को संघ का समर्थन नहीं है। प्रदेशभर के किसान 16 जून को चक्काजाम कर रहे हैं। किसानों के इस आंदोलन को कांग्रेस, जोगी कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन है। भारतीय किसान संघ ने सरकार का पक्ष लेते हुए...

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'पीर के पर्वत का पिघलाव है यह'- किसान आंदोलन पर योगेन्द्र यादव

पीर के पर्वत का पिघलाव है यह योगेंद्र यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष, स्वराज इंडिया मध्य प्रदेश के मंदसौर में अपना विरोध व्यक्त करते किसानों पर पुलिस की गोलीबारी किसान आंदोलन के इतिहास में एक नये चरण का आगाज कर सकती है. सरकार के इनकार के बावजूद, अब यह साफ है कि 6 जून को चलीं पुलिस की इन गोलियों ने कम से कम पांच किसानों की हत्या कर दी. वहां की सरकार...

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हमें और मंदसौर नहीं चाहिए-- शशिशेखर

दसौर की घटना पर आंसू बहाने वाले दिल कड़ा कर लें, क्योंकि असंतोष की चिनगारियां देश के कई हिस्सों में छिटक रही हैं। कारण? गांवों और कस्बों में रहने वाली देश की बड़ी आबादी के लिए ताकतवर भारतीय राष्ट्र-राज्य अब भी दूर की कौड़ी है। क्या हमें इस बात पर शर्म नहीं आनी चाहिए कि कृषि-प्रधान कहलाने वाले देश की कोई कारगर ‘राष्ट्रीय कृषि नीति' नहीं है? 1947 से अब...

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