बाल विवाह के दुष्परिणाम बचपन की शादी नकारने का मारवाड़ में दो माह में तीसरा मामला सामने आया है। ताजा प्रकरण सालवा कलां के राजेंद्र व गुड्डी का है। राजेंद्र ने गुड्डी के साथ हुए बालविवाह को मानने से इनकार कर दिया है। भास्कर ने सालवा कलां जाकर दोनों परिवारों की मनोस्थिति जानी। सालवा कलां से लौटकर निशी पालसिंह बचपन में गुड्डे-गुड़िया के खेल की तर्ज पर ब्याही गुड्डी का...
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आम तोड़ने वाली खास लड़की
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर दूर रातू चाटी गांव के आम के बगीचे में आज से सात-आठ साल पहले एक दुबली-पतली, पर खिलंदड़ी लड़की को एक ही निशाने में आम तोड़ते देख शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह भविष्य में अपने इसी निशाने के कारण गांव और देश का नाम रोशन करेगी। वह लड़की अब कभी-कभी ही गांव जा पाती है, पर तीरंदाजी में उसकी...
More »इन बच्चों का क्या कसूर?- हर्षमंदर
गरीबों के बच्चे मवेशी चराते हैं और चटाई बुनते हैं, वे शहर के कूड़ागाहों और ट्रैफिक सिगनल्स पर पाए जाते हैं, ईंट-भट्टे और कोयला खदानें आमतौर पर उनके काम करने की जगहें होती हैं। जब हमारे बच्चे स्कूलों में पढ़ाई करने जाते हैं, तब गरीबों के बच्चे रोजी-रोटी के लिए मशक्कत कर रहे होते हैं। लेकिन बड़ी अजीब बात है कि हमने महज इस संयोग के आधार पर इन बच्चों की इस...
More »आखिर कब पूरा होगा बाल मजदूर मुक्त समाज का सपना
नई दिल्ली। एक मई देश की उत्साहजनक विकास दर और शहरीकरण के बीच लाखों बच्चे अपने बचपन को भूल दयनीय स्थिति में मजदूरी करने को विवश हो रहे है। कई गैर सरकारी संगठन इस काम में जुटे हुए है कि बाल मजदूरी से देश व समाज को जल्द से जल्द मुक्त किया जा सकें। तमाम सरकारी नीतियों और गैर सरकारी प्रयासों के बावजूद बाल मजदूरों की संख्या में इजाफा होता...
More »गूगल अर्थ ने किया कमाल, 4000 गरीबों को दिला दी छत
सांगली. पुणे से ढाई सौ किमी दूर सांगली-मिरज में झुग्गियों में रह रहे चार हजार परिवारों ने अपने घर तोड़ लिए हैं। 29 बस्तियों के इन बाशिंदों को नए मकानों में बसाया जा रहा है। घरों के डिजाइन उनकी रजामंदी से ही बने। न कोई विरोध। न गुस्से का इजहार। ये कमाल हुआ है गूगल अर्थ की बदौलत। झुग्गियों से मुक्ति चाह रहे देशभर के बाकी शहरों के लिए सांगली-मिरज मिसाल...
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