SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 278

विदेशी कर्ज 390 अरब डॉलर पर पहुंचा

मुंबई। भारत पर विदेशी कर्ज पिछले वित्त वर्ष के दौरान 13 फीसद बढ़कर 390 अरब डॉलर पहुंच गया है। रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को आंकड़े जारी करते हुए बताया कि छोटी अवधि के कर्ज और विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) में इजाफे के चलते विदेशी कर्ज में इजाफा हुआ है। आरबीआइ ने अपने बयान में कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार मार्च, 2012 में कर्ज का 85.2 फीसद था। यह मार्च, 2013 में...

More »

चालू खाते का घाटा खतरनाक स्तर पर

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कच्चे तेल और सोने के आयात में तेज वृद्धि ने साल 2012-13 के चालू खाते के घाटे को खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया है। इस अवधि में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] के 4.8 फीसद के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, दिसंबर 2012 को समाप्त तिमाही में यह 6.7 फीसद की ऊंचाई तक पहुंच गया था। इससे यह आशंका जताई जा रही...

More »

कमजोर रुपया बढ़ा रहा विदेशी कर्ज का बोझ

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में तेज गिरावट से देश की क्रेडिट प्रोफाइल बिगड़ने की आशंका पैदा हो गई है। साथ ही देश पर विदेशी कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है। तेल कंपनियों की मांग और सोमवार को भी रुपया लुढ़कते हुए 59.83 तक जा पहुंचा। मगर बाद में बैंकों की ओर से डॉलर की बिक्री ने हालात सुधारे और एक डॉलर की कीमत...

More »

महंगाई के फिर लौटने का खतरा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हाल के कुछ हफ्तों के दौरान थोक उत्पादों की महंगाई दर में कमी का ढिंढोरा पीट रही सरकार को रिजर्व बैंक ने आइना दिखा दिया है। आरबीआइ ने कहा है कि महंगाई पूरी तरह से काबू में नहीं आई है। यह अगले दो से तीन महीनों में फिर बेकाबू हो सकती है। खास तौर पर खाद्य उत्पादों की महंगाई दर अभी भी सामान्य से काफी ज्यादा...

More »

भ्रष्टाचार का आर्थिक पहलू- डा. भरत झुनझुनवाला

यदि घूस लेनेवाले और गलत नीतियां बनानेवाले के बीच चयन करना हो तो मैं घूस लेनेवाले को पसंद करूंगा. कारण यह कि घूस में लिया गया पैसा अर्थव्यवस्था में वापस प्रचलन में आ जाता है. लेकिन गलत नीतियों का प्रभाव दूरगामी और गहरा होता है. जैसे ईमानदार नेता विदेशी ताकतों के साथ गैर-बराबर संधि कर ले अथवा गरीब के रोजगार छीन कर अमीर को दे दे, तो देश की आत्मा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close