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कुल न्यायाधीशों में 50 फीसदी संख्या महिलाओं की होनी चाहिए: संसदीय समिति

नई दिल्ली: आजादी के बाद से भारत के सुप्रीम कोर्ट में केवल छह महिला न्यायाधीश नियुक्त किये जाने एवं अदालतों में महिला जजों की कम संख्या का हवाला देते हुए संसद की एक समिति ने सिफारिश की है कि कुल न्यायाधीशों में महिला न्यायाधीशों की संख्या करीब 50 प्रतिशत होनी चाहिए. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में पेश कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति की...

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सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला, विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में होगा विभागवार आरक्षण

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण अब विभाग के आधार पर दिया जाएगा न कि विश्वविद्यालय की कुल सीटों के आधार पर. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय को सही ठहराया जहां उसने कहा था कि आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को इकाई माना जाना चाहिए. इस फैसले को केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जहां मंगलवार को जस्टिस...

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संविधान में आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए आरक्षण देने का प्रावधान नहीं: जस्टिस चेलमेश्वर

मुंबई: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने बुधवार को कहा कि संविधान में सिर्फ समाज के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण देने का प्रावधान है, न कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, रिटायर्ड जस्टिस जे. चेलमेश्वर आईआईटी बॉम्बे में आयोजित आंबेडकर मेमोरियल लेक्चर में एक छात्र के सवाल का जवाब दे रहे थे. चेलमेश्वर ने...

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तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा

महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...

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जलवायु परिवर्तन के दायरे में दुग्ध उत्पादन भी, नहीं संभले तो अगले साल तक दिखने लगेगा असर

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लोबल वार्मिंग के भारत में असर और चुनौतियों के दायरे में फल और सब्जियों ही नहीं बल्कि दुग्ध भी हैं. जलवायु परिवर्तन के भारतीय कृषि पर प्रभाव संबंधी अध्ययन पर आधारित कृषि मंत्रालय की आंकलन रिपोर्ट के अनुसार अगर तुरंत नहीं संभले तो इसका असर 2020 तक 1.6 मीट्रिक टन दूध उत्पादन में कमी के रूप में दिखेगा. रिपोर्ट में चावल समेत कई फसलों के...

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