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लघु उद्योगों को संवारने का है संकल्प - कलराज मिश्र

नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री के रूप में कामकाज संभाला और गांधी जयंती के मौके पर पहली बार रेडियो के माध्यम से 'मन की बात" की तो उन्होंने खादी के महत्व का बखान करते हुए हर देशवासी को खादी का एक उत्पाद अवश्य खरीदने की अपील की। इसका व्यापक असर हुआ और खादी की बिक्री में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस अपील के बाद सबका ध्यान सूक्ष्म, लघु एवं...

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जमीन में कोयला आकाश में कालिख

देश का नेतृत्व तेज आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध दिख रहा है। इसके लिए कोयला उत्पादन दोगुना-तिगुना करने की जरूरत है। पर दुर्भाग्य से अगर ऐसा हुआ तो भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश बन जाएगा। डेविड रोज की रिपोर्ट वित्त वर्ष मार्च 2015 के अंत तक दुधिचुआ ने 15 मीट्रिक टन कोयला उत्पादन किया, जो ब्रिटेन के कुल कोयला उत्पादन से भी अधिक है। दुधिचुआ सिंगरौली कोयला-क्षेत्र...

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आर्थिक तरक्‍की के मामले में भारत होगा चीन से आगे : संयुक्‍त राष्‍ट्र

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की मौजूदा आर्थिक वृद्धि दर की जो रफ्तार है उस हिसाब से भारत चीन को पीछे छोड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन की वृद्धि दर को पार कर जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 7.7 प्रतिशत रहेगी. रिपोर्ट में...

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कृषि क्षेत्र की लगातार उपेक्षा- पवन के वर्मा

सरकार की आर्थिक दृष्टि औद्योगिक गलियारों, राजमार्गों, बुलेट ट्रेनों और स्मार्ट शहरों तक ही सीमित है. भारत को इनकी जरूरत है, लेकिन सरकार एकतरफा ढंग से उस भारत को छोड़ इन लक्ष्यों के पीछे नहीं भाग सकती है जहां आत्महत्याओं की संख्या और लोगों की तकलीफें बेतहाशा बढ़ रही हैं. भाजपा को याद करना चाहिए कि सर्वाधिक 18,241 आत्महत्याएं 2004 में हुई थीं, जब पार्टी ‘शाइनिंग इंडिया' की बात करती...

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कारपोरेट खेती से किसका भला होगा- सुभाषचंद्र कुशवाहा

मानो फसलों की बर्बादी और किसानों की आत्महत्या ही काफी न हो, अब एसोचैम ने शोध प्रस्तुत किया है कि कॉरपोरेट और ग्रुप फार्मिंग ही छोटे किसानों को आपदाओं से बचाएगी। एसोचैम किसानों को राहत देने के पक्ष में नहीं है। उसकी मंशा कंपनियों को राहत देने की है। उसके मुताबिक, किसानों की जमीन औने-पौने दामों में कॉरपोरेट को सौंप देनी चाहिए। उसका मानना है कि कृषि ऋण लगातार बढ़ाने...

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