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पारदर्शिता से परहेज क्यों- बाबू लाल नागा

यह सूचना के अधिकार की ताकत का ही नतीजा है कि आज राजनीतिक दल इस कानून से काफी आतंकित है। वे सूचना के अधिकार कानून के तहत जवाब देने से कतरा रहे हैं। केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले का विरोध करते हुए एक हो गए हैं। कह रहे हैं राजनीतिक दल कोई सरकारी संस्था थोड़े ही है जो उस पर सूचना के अधिकार का शिकंजा कसा जाए।कहा जा रहा इससे...

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श्रम में खोता बचपन

बाल श्रम हमारे समय की एक दुखद सच्चई है. तरक्की के तमाम दावों के बावजूद आज हम उद्योग-धंधों से लेकर घर के भीतर तक पूरी दुनिया में किसी न किसी रूप में बाल श्रमिकों को देख सकते हैं. इसकी रोकथाम के लिए बेशक कई कानूनी प्रावधान किये गये हों, लेकिन पिछड़े क्या विकसित कहे जाने वाले समाजों तक में लाखों बच्चों का बचपन पेट की भूख मिटाने में दफन हो जाता है. वर्ल्ड...

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पारदर्शिता का पैमाना और पार्टियां- शीतला सिंह

जनसत्ता 11 जून, 2013: केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने एक फैसले में राजनीतिक दलों को सूचना आयोग कानून के तहत जवाबदेह माना है। आयोग की पूर्णपीठ ने राजनीतिक दलों का यह तर्क नहीं स्वीकार किया कि वे सरकारी सहायता से चलने, उनसे अनुदान प्राप्त करने वाले संगठन नहीं हैं इसलिए वे इस कानून से मुक्त हैं। केंद्रीय सूचना आयोग का मानना है कि वे केंद्र सरकार की ओर से परोक्ष...

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हरियाणा व पंजाब ने धान का रकबा घटाने का प्रयास

पानी की समस्या से जूझ रहे पंजाब व हरियाणा राज्य ने चालू खरीफ सीजन में धान की बुवाई के रकबे में कटौती करने का निर्णय लिया है। चालू खरीफ सीजन में दोनों राज्य धान की बुवाई क्षेत्र में 1.65 लाख हैक्टेयर की कटौती करेंगे। ऐसा करने के लिए दोनों राज्यों की सरकारों ने किसानों को अन्य फसल की बुवाई करने की अपील की है। पंजाब ने चालू खरीफ सीजन में धान बुवाई...

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पंचायत के रास्ते जन तक पहुंचा तंत्र

प्रदीप श्रीवास्तव, नई दिल्ली। तमाम दिक्कतों, सरकारी अवरोधों को गिनाने के साथ मणिशंकर अय्यर मानते हैं कि पंचायत राज व्यवस्था ने जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रशिक्षित लाखों लोगों की एक फौज खड़ी की है। खासकर इससे महिलाओं को आगे लाने में काफी कामयाबी मिली है। पंचायती राज के जरिए जनता देश में 38 लाख प्रतिनिधि चुनती है। इसमें 14 लाख महिलाएं होती हैं। अय्यर के मुताबिक, पिछले 20...

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