जनसत्ता 26 अगस्त, 2014 : आदिवासी समाज के बारे में इधर हमारी दृष्टि बदली है। बावजूद इसके आदिवासी बहुल इलाकों के बाहर आदिवासी समाज के बारे में अब भी एक कौतूहल का भाव रहता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प होगा कि गैर-आदिवासी समाज आज भी आदिवासी समाज को किस रूप में देखता है। राजनेताओं की नजर में आदिवासी समाज की अहमियत क्या है, इसे हम कुछ उदाहरणों से...
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हजार में 46 बच्चों की हो रही मौत, केंद्र से मांगे 56 करोड़
रायपुर (निप्र)। राज्य में हर साल करीब 4 लाख बच्चे जन्म लेते हैं और इनमें से लगभग 18 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में शिशु मृत्युदर का प्रतिशत प्रति हजार 46 है। अब राज्य सरकार ने नया लक्ष्य तैयार किया है, जिसमें प्रति हजार 46 बच्चों की मौत को 2017 तक घटाकर 30 तक पहुंचना है, जिसके लिए केंद्र से सत्र...
More »विलुप्ति की कगार पर खड़ी 250 बोली व भाषाओं में छत्तीसगढ़ी
बिलासपुर (निप्र)। सेंटर फॉर रिजर्वेशन ऑफ इनडेंजर लैंगवेज के संबंध में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने एक सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसमें भारत की ढाई सौ भाषाएं व बोलियां की विलुप्ति का खतरा बताया गया है। इसमें छत्तीसगढ़ी भी शामिल है। इसके बाद केंद्र सरकार ने यूजीसी को इन भाषाओं व बोलियों के संरक्षण करने के लिए कहा है। पिछले दिनों दिल्ली में इस मामले...
More »1 स्कूल, 2 शिक्षक और 3 विद्यार्थी
कोरबा। पुनर्वास ग्राम वैशालीनगर में संचालित प्राथमिक शाला में अध्ययरत महज तीन बच्चों के लिए दो शिक्षाकर्मी पदस्थ हैं। इसमें भी कभी एक बच्चा ही पढ़ने आता है, तो कभी एक भी नहीं। ऐसे में दोनों शिक्षाकर्मी यहां हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। दूसरी ओर जिले में 236 स्कूल ऐसे हैं, जहां पांच कक्षाओं के लिए केवल एक शिक्षक ही पदस्थ हैं। यह माजरा कुसमुंडा के ग्राम वैशालीनगर का...
More »खून के लिए आदिवासी कर रहे 100 किमी का सफर
मो. इस्राइल/ बिलासपुर(निप्र)। मरवाही, गौरेला, पेंड्रा, अमरकंटक समेत आसपास के आदिवासियों को बीमारी में खून की जरूरत होने पर 100 किलोमीटर का सफर कर सिम्स या फिर जिला अस्पताल आना पड़ रहा है। जबकि ब्लड स्टोरेज के लिए लाखों रुपए खर्च कर फ्रिजर आदि का इंतजाम किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण गरीब खून के लिए भटक रहे हैं। जिले के तीन अनुसूचित जाति बाहुल्य विकासखंड मरवाही, गौरेला...
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