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कराहते करघे अब करुण कहानी भर हैं-- अमितांशु पाठक

अभी कुछ ही दिन हुए, जब वाराणसी में फाकेहाली से हताश एक बुनकर दंपति ने अपनी तीन बच्चियों की हत्या कर दी। पर विदर्भ के किसानों की आत्महत्या की तरह बनारस के बुनकरों की आर्थिक तंगी, बेकारी, गरीबी और कुपोषण को मीडिया में सुर्खियां नहीं मिल सकीं। इसलिए दुनिया भर में फैले बनारसी साड़ियों के शौकीन नहीं जानते कि यहां अनेक बुनकर परिवारों को दो जून का भरपेट भोजन और...

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छत्तीसगढ़--14 सालों में साढ़े 14 हजार से अधिक किसानों ने की आत्महत्या

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले 14 सालों में 14793 किसानों ने आत्महत्या की है। ये रोंगटे खड़े कर देने वाले आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। किसानों की खुदकुशी का यह ग्राफ और भी भयानक हो सकता था, लेकिन एनसीआरबी ने 2011 से 2013 की अवधि में ऐसी मौतों की गणना नहीं की। खेती की बढ़ती लागत, खेती में हो रहे लगातार नुकसान के चलते किसान...

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केन्द्रीय कृषि मंत्री को मंत्री पद से हटाने सौंपा ज्ञापन

रायसेन (ब्यूरो)। केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन द्वारा किसानों की आत्महत्या पर दिए गए बयान से किसानों में आक्रोश है। मंगलवार को किसान जागृति संगठन ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर कृषि मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है। संगठन ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम के निधन के कारण कृषि मंत्री के पुतला दहन कार्यक्रम को निरस्त कर दिया है। किसान जागृति संगठन के तत्वावधान में मंगलवार को...

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आत्महत्याएं कभी झूठ नहीं बोलतीं!- चंदन श्रीवास्तव

पुराने समय में ‘कागद की लेखी' और ‘आंखिन की देखी' के बीच अकसर एक झगड़ा रहता था. कागद की कोई लिखाई जिंदगी की सच्चाई से मेल ना खाये, तो फिर कबीर सरीखा कोई ‘मति का धीर' पोथी में समाये ज्ञान से इनकार भी कर देता था. यह अघट तो आधुनिक समय में घटा कि प्रत्यक्ष को मानुष पर और मानुष को आवेगों पर निर्भर मान कर शंका के काबिल मान...

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किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा

गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...

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