SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 581

शर्मनाक: पिछले 7 सालों में करीब 98 हजार किसानों-खेतीहर मजूदरों ने की आत्महत्या

तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश से लेकर बिहार तक हमारा पेट भरने वाले किसान आंदोलित हैं। पिछले तीन सालों से पड़े सूखे ने किसानों और खेतीहर मजदूरों ने कमर तोड़ दी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार 2009 से 2015 के दौरान 97847 किसानों और खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। किसानों द्वारा आत्महत्या का मुख्य कारण कर्ज रहा है जबकि खेतिहर मजदूरों के लिए ‘पारिवारिक समस्याएं'...

More »

क्या इन 3 वजहों से PM नहीं मिले तमिलनाडु के किसानों से?

दिल्ली के जंतर-मंतर पर करीब 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के अन्नदाताओं ने मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी के आश्वासन के बाद अपना आंदोलन एक महीने के लिए स्थगित कर दिया है। लेकिन कहा है कि अगर वायदे पूरे नहीं किए गए तो वे 25 मई को दिल्ली बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे।   पिछले 40 दिनों के प्रदर्शन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी प्रतिनिधियों से मुलाकात नहीं की।...

More »

कृषि ऋण माफी के आईने में-- वरुण गांधी

साल 1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिका में कपास उत्पादन को फिर से बढ़ावा मिलने का नतीजा यह हुआ था कि वहां भारतीय कपास की मांग काफी कम हो गयी. इसके चलते बंबई प्रेसिडेंसी में किसानों से कपास की खरीद में कमी आयी और भुगतान-संबंधी मांग बढ़ गयी. कर्जदाता इच्छुक किसानों को कर्ज देने में हिचकने लगे या फिर वे बहुत ज्यादा ब्याज पर कर्ज देने...

More »

सरकारी शाहखर्ची और बदहाल किसान-- संजीव पांडेय

र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...

More »

सामान्य मानसून की भविष्यवाणी से बढ़ी ब्याज दर में कमी की उम्मीद

नई दिल्ली। मौसम विभाग की तरफ से सामान्य मानसून की भविष्यवाणी ने चालू वित्त वर्ष में भी किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी की उम्मीदें बढ़ा दी हैं, बल्कि लोगों की जेब पर ईएमआई के बोझ के हल्का होने की संभावनाएं भी बना दी हैं। अच्छे मानसून से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगा। यही नहीं, लगातार दूसरे साल ऐसा होने से देश की आर्थिक विकास दर की रफ्तार भी बढ़ेगी। माना जा रहा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close