निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न शुल्क और मंजूरियों में छूट से लेकर तकनीकी उन्नयन और इ-बिज पोर्टल जैसी तमाम घोषणाएं बजट में है। मंजूरियों में छूट को लेकर एक विधेयक लाने की तैयारी का संकेत भी कर दिया गया है। कहना न होगा कि वित्तमंत्री ने उद्योगों की तो खूब चिंता की, परग्रामोद्योगों को अब भी प्रतीक्षा है कि कोई आए और अलग से उनकी चिंता...
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विज्ञान से अछूते क्यों रहें हमारे गांव? - डॉ. अनिल प्रकाश जोशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों गांवों की बदलती तस्वीर में वैज्ञानिकों की भूमिका पर टिप्पणी कर देश में संस्थानों के दायित्वों की तरफ अहम इशारा किया है। यह बात पूरी तरह सच है कि ये संस्थान इस देश को इंडिया बनाने में ज्यादा चिंतित रहे, न कि भारत। आज भी हमारे देश का बड़ा हिस्सा गांवों में ही बसता है। साढ़े छह लाख गांवों में देश की 70 प्रतिशत...
More »घर छोड़ने को मजबूर क्यों अन्नदाता? - देविंदर शर्मा
कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...
More »किसानों के अच्छे दिन कब आएंगे- बाबा मायाराम
इन दिनों किसान अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहे हैं। एक तरफ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद नहीं हो रही है, किसानों को बोनस नहीं मिल रहा है, तो दूसरी तरफ गेहूं की फसल के लिए खाद-बीज उपलब्ध नहीं हो रहा। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसान मंडी और सोसाइटियों के चक्कर काट रहे हैं। जगह-जगह धरना, प्रदर्शन और चक्का-जाम के रूप में उनका असंतोष सामने आ रहा...
More »बढ़ रही है कर्जदार किसानों की तादाद- एनएसएसओ
विकास के बहुमुखी हल्ले के बीच कृषि-संकट जारी है। तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र से रह-रह कर आ रही किसान-आत्महत्याओं की खबरों के बीच राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण(एनएसएसओ) द्वारा इस माह जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 52 फीसदी खेतिहर परिवार कर्ज में डूबे हैं। रिपोर्ट में का यह तथ्य जुलाई 2012 से जून 2013 के बीच की स्थिति के बारे में है।(देखें नीचे दी गई लिंक) तकरीबन साढ़े...
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