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एक बच्चे की कहानी, जो झकझोर देती है अंतर्राष्ट्रीय जर्नलिस्ट की आत्मा!

मुंबई.  गरीबी पर 2005 की वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल आबादी का 47.6% हिस्सा गरीबी रेखा के अंतर्राष्ट्रीय मानक से नीचे का जीवन जीने को मजबूर है.     इसी तरह 2010 की UNDP रिपोर्ट बताती है कि देश की 37.2% आबादी गरीबी रेखा के राष्ट्रीय स्तर से नीचे का जीवन गुजर करती है. इस स्थित को देश के लगभग 6 करोड़ उन नौनिहालों को भी झेलना पड़ता है जिन पर...

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बिहार में घरों तक पहुंचेगा राशन

बिहार में अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अनाज कार्डधारकों के दरवाजे तक पहुंचाया जाएगा. इस तरह बिहार ऐसा पहला राज्य होगा, जहां गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले करीब 1.45 करोड़ परिवारों के घर राशन पहुंचाया जाएगा. बिहार में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की 45,000 से अधिक दुकानें हैं, जिन पर राज्य खाद्य निगम के 307 गोदामों से अनाज उठाकर कार्डधारकों को वितरित करने की जिम्मेदारी रही है. लेकिन कार्डधारक अक्सर...

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बढ़ती बेरोजगारी के बीच-गिरीश मिश्र

नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...

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भूमंडलीकरण का शब्दजाल- सुनील

साहित्य में कबीर की उलटबांसियां प्रसिद्ध हैं। गहरे से गहरे दार्शनिक रहस्यों को बताने के लिए कबीर जीवन के कुछ ऐसे विरोधाभासों का सहारा लेते हैं, जिनमें ऊपर से कुछ और दिखाई देता है, किंतु अंदर कुछ और होता है। वैश्वीकरण के साथ ही दुनिया में एक नई शब्दावली आई है, जो कुछ-कुछ उलटबांसियां जैसी ही हैं। जैसे वैश्वीकरण, भूमंडलीकरण, जगतीकरण या जागतिकीकरण को ही लें, जो ग्लोबलाइजेशन के विविध...

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योजना आयोग के गरीब- तवलीन सिंह

जब भी दिल्ली के सरकारी भवनों में आला अधिकारी बैठकर भारत के गरीबों का हिसाब लगाने बैठते हैं, तो मुझे सख्त तकलीफ होती है। इसलिए कि ये लोग ऐसा करते हैं, सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए। अगर आंकड़ों से साबित कर सकते हैं योजना भवन के अधिकारी कि राजनेताओं की समझदारी, उनकी आर्थिक नीतियों से देश में गरीबी हट रही है देश में, तो राजनेता दोबारा...

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