विलंब से शुरू हुआ संसद का सत्र जैसे ही समापन के करीब पहुंचा, वित्तमंत्री ने खुद को एक अजीब स्थिति में पाया। राज्यसभा ने 4 जनवरी, 2018 को अर्थव्यवस्था की हालत पर अल्पावधि चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया था और अपेक्षा थी कि वित्तमंत्री चर्चा का जवाब देंगे। बजट से सत्ताईस दिन पहले यह विचित्र था कि वित्तमंत्री अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विस्तार से बोलें या कोई आश्वासन दें। अर्थव्यवस्था...
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अर्थव्यवस्था की गतिकी-- संदीप मानुधने
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के वर्षभर के पहले अग्रिम आकलन के मुताबिक सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वार्षिक वृद्धि दर का आंकड़ा अनुमान से काफी कम आया है. सीएसओ का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 फीसदी के दर से बढ़ेगी, जबकि रिजर्व बैंक का आकलन 6.7 फीसदी का था. यह अन्य अनुमानों से भी कम ही है. अपने-आप में जीडीपी की वृद्धि दर शायद बहुत अधिक...
More »नये साल में विकास की चुनौतियां-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
बिहार और झारखंड जैसे राज्यों के सामने आनेवाले साल में क्या चुनौतियां हैं? विडंबना यह है कि प्राकृतिक संपदा और उपजाऊ जमीन के बावजूद ये राज्य भारत के सबसे गरीब राज्यों में आते हैं. कमाल की बात यह है कि यहां के मानव संसाधन का लोहा दुनिया मानती है. कई विद्वानों के लिए यह एक पहेली है. मुझे याद है कि लंदन स्कूल ऑफ इकोनाॅमिक्स के प्रो जॉन हैरिस ने...
More »आइटी उद्योग के स्याह पहलू-- अभिषेक कुमार
एक वक्त था जब देश में हुई आइटी क्रांति ने रोजगार को पंख लगा दिए थे। एक ऐसे दौर में, जब देश का पढ़ा-लिखा नौजवान कोई मामूली वेतन वाली नौकरी करने या फिर बेरोजगार रहने को मजबूर था, आइटी क्रांति की बदौलत देश-विदेश में उम्दा रोजगार का हकदार बना था और अपनी प्रतिभा का परचम लहराया था। पर अब एक के बाद एक, इस क्षेत्र के लिए बुरी खबरें आ...
More »सरकारी बेरुखी से बदहाल किसान--- संजीव पांडेय
इस साल आलू की अच्छी फसल के बावजूद किसान बहुत परेशान हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक के किसान दस पैसे प्रति किलो आलू बेचने के लिए मजबूर हैं। हाल ही में पंजाब में किसानों ने जानवरों को ही आलू खिलाना शुरू कर दिया था। उधर उत्तर प्रदेश में सरकार ने इस बार आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया था। इसके बावजूद आगरा और मथुरा के इलाके में...
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